अवैध कब्जेदारों को भी बिजली कनेक्शन पाने का अधिकार
हाइकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर स्थित सर्किट बेंच ने फैसला सुनाया कि सरकारी राजस्व भूमि पर अवैध कब्ज़े वाले व्यक्ति को केवल संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी) विनियम, 2018 के खंड 5.30 में सूचीबद्ध स्वामित्व या कब्जे के दस्तावेज़ प्रस्तुत न करने के आधार पर बिजली देने से वंचित नहीं किया जा सकता.
संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर स्थित सर्किट बेंच ने फैसला सुनाया कि सरकारी राजस्व भूमि पर अवैध कब्ज़े वाले व्यक्ति को केवल संयुक्त विद्युत नियामक आयोग (जेईआरसी) विनियम, 2018 के खंड 5.30 में सूचीबद्ध स्वामित्व या कब्जे के दस्तावेज़ प्रस्तुत न करने के आधार पर बिजली देने से वंचित नहीं किया जा सकता.
न्यायालय ने कहा है कि यह खंड दस्तावेज़ी आवश्यकताओं को रेखांकित करता है लेकिन इसका उपयोग औपचारिक स्वामित्व के बिना भूमि पर कब्ज़ा करने वाले व्यक्तियों के लिए बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं को अवरुद्ध करने के लिए नहीं किया जा सकता. पोर्ट ब्लेयर स्थित सर्किट बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस कृष्ण राव ने कहा कि यह न्यायालय यह भी पाता है कि अवैध कब्जाधारी के लिए जेईआरसी विनियमन 2018 की धारा 5.30 के तहत आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करना संभव नहीं है.
बिजली विभाग की ओर से पेश हुए एडवोकेट एससी मिश्रा ने दलील दी कि जेईआरसी विनियमन, 2018 की धारा 5.30 के अनुसार याचिकाकर्ता को दस्तावेज़ उपलब्ध कराने थे लेकिन वह धारा 5.30 के तहत दिए गए दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में विफल रही. इस प्रकार, असिस्टेंट इंजीनियर ने उसका दावा खारिज कर दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि धारा 5.30 किसी भी तरह से अधिभोगी के बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के अधिकार को बाधित नहीं करता है. तदनुसार, असिस्टेंट इंजीनियर-II (मुख्यालय) द्वारा पारित विवादित आदेश को न्यायालय ने रद्द कर दिया. असिस्टेंट इंजीनियर-II (मुख्यालय), विद्युत विभाग को निर्देश दिया गया कि वह सभी औपचारिकताओं का पालन करते हुए इस आदेश की प्राप्ति की तिथि से चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को बिजली कनेक्शन प्रदान करें.
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