शुभेंदु को मिली अंतरिम राहत को हाइकोर्ट ने लिया वापस

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने उन्हें दी गयी अंतरिम राहत वापस ले ली है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | October 25, 2025 1:13 AM

शुभेंदु के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के लिए एसआइटी का होगा गठन

संवाददाता, कोलकाताराज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अदालत ने उन्हें दी गयी अंतरिम राहत वापस ले ली है. अदालत ने राज्य सरकार व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को मिलकर चार मामलों की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया है. यह आदेश शुक्रवार को हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने दिया. इस दिन मामले पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने भाजपा नेता के खिलाफ दर्ज चार मामलों की जांच सीबीआइ व पश्चिम बंगाल पुलिस की संयुक्त विशेष जांच दल (एसआइटी) को सौंपने का आदेश दिया. इससे पहले, न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने भाजपा नेता व राज्य के बीच तीन मामलों में फैसला सुनाते हुए इस राहत को वापस ले लिया. न्यायमूर्ति ने शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ राज्यभर में 15 मामलों में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का भी आदेश दिया. श्री अधिकारी ने अदालत के समक्ष दावा किया था कि सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर उन्हें जनप्रतिनिधि के रूप में अपना कार्य करने से रोकने के लिए राज्य के विभिन्न पुलिस थानों में उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने साफ किया कि कोई भी अंतरिम आदेश लंबे समय तक प्रभावी नहीं रह सकता, इसलिए शुभेंदु अधिकारी को दी गयी अंतरिम राहत अब समाप्त की जा रही है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ दर्ज 15 मामलों को खारिज किया जा चुका है. न्यायमूर्ति ने कहा : अगर नेता प्रतिपक्ष या उनके वकीलों को इस आदेश के संबंध में कोई आपत्ति या तर्क प्रस्तुत करना है, तो उन्हें सोमवार तक लिखित रूप में अदालत को सूचित करना होगा. इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गयी है.

वर्ष 2022 में शुभेंदु अधिकारी को दी गयी थी अंतरिम राहत

गौरतलब है कि आठ दिसंबर, 2022 को न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने शुभेंदु अधिकारी को अंतरिम राहत दी थी. उस आदेश में कहा गया था कि हाइकोर्ट की अनुमति के बिना राज्य सरकार शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठा सकती, यहां तक कि एफआइआर भी दर्ज नहीं की जा सकती. इस वजह से बीते कुछ वर्षों से विपक्ष के नेता के खिलाफ कोई नयी कानूनी कार्रवाई नहीं हो पायी थी.

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