निकायों को या तो बंद करें या कर दें निजीकरण : हाइकोर्ट
राज्य की कई नगरपालिकाओं द्वारा अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन और ग्रेच्युटी का बकाया भुगतान न करने पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है.
बकाया पेंशन व ग्रेच्युटी के मामले में हाइकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
संवाददाता, कोलकाताराज्य की कई नगरपालिकाओं द्वारा अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन और ग्रेच्युटी का बकाया भुगतान न करने पर कलकत्ता हाइकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. बकाया पेंशन व ग्रेच्युटी से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के न्यायाधीश गौरांग कांत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कर्मचारियों के बकाया राशि का भुगतान करें, या नगरपालिकाओं को बंद कर दें या उनका निजीकरण कर दें. न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने अलग-अलग मामलों में नगरपालिकाओं के अधिकारियों से पूछा, “अब आप इस पर बहस क्यों कर रहे हैं कि ये संविदा नियुक्तियां हैं या कुछ और? आपने उन्हें नियमित कर दिया है. अब यह सब कहने का कोई मतलब नहीं है. हाइकोर्ट ने आगे कि अगर आप बकाया राशि का भुगतान नहीं कर सकते, तो इतने लंबे समय तक उनकी सेवाएं क्यों लीं? सुनवाई के दौरान टीटागढ़ नगरपालिका के वकील ने सभी आरोपों को स्वीकार करते हुए कर्मचारियों का बकाया भुगतान स्वीकार कर लिया और अदालत को यह तर्क देने की कोशिश की कि टीटागढ़ क्षेत्र की अधिकांश जूट मिलें बंद हो चुकी हैं. इसलिए बकाया रुपया का भुगतान संपत्ति कर वसूल कर चुकाना है. वकील ने कहा कि नगरपालिका सभी बकाया चुकाने की कोशिश कर रही है. न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि नगरपालिका को तय करने दीजिए कि उसे क्या करना है. लेकिन इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों का बकाया सबसे पहले चुकाना होगा. इसी प्रकार, न्यायाधीश ने बहरमपुर नगरपालिका के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन न मिलने पर भी निराशा व्यक्त की. न्यायाधीश ने कहा कि कम से कम अस्थायी पेंशन जारी कर दीजिये. इन कर्मचारियों ने 30-35 साल सेवा की है. कम से कम दुर्गा पूजा से पहले यह छोटा सा सहयोग तो प्रदान कर दीजिये. गुरुवार को चांपदानी नगरपालिका, भाटपाड़ा नगरपालिका और टीटागढ़ नगरपालिका से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों की सुनवाई हुई.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
