बर्खास्त ग्रुप सी व डी कर्मियों को विशेष भत्ता देने के फैसले पर रोक रहेगी जारी

हाइकोर्ट ने 30 जनवरी 2026 तक बढ़ायी रोक की अवधि

By SANDIP TIWARI | September 19, 2025 10:33 PM

हाइकोर्ट ने 30 जनवरी 2026 तक बढ़ायी रोक की अवधि कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बर्खास्त ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मचारियों को मासिक भत्ता देने के फैसले पर रोक की अवधि 30 जनवरी 2026 तक के लिए बढ़ा दी है. शुक्रवार को यह फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों का वेतन बंद करने के साथ ही उनको वेतन के मद में मिले पैसे को भी वापस करने का निर्देश दिया है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा इन कर्मचारियों को विशेष अनुदान देना गलत है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या भ्रष्टाचार के कारण नौकरी से वंचित हुए लोगों को घर बैठे पैसे देना उचित है? इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने भत्ते के फैसले को लेकर कई सवाल उठाये थे, उन्होंने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को घर बैठे भत्ता दिया जायेगा, जिनकी नौकरी कोर्ट द्वारा रद्द की जा चुकी है? राज्य सरकार ने इतनी जल्दी यह योजना क्यों लागू की? भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले जिन लोगों को नुकसान हुआ, उन्हें किस तरह की राहत दी गयी? क्या है मामला यह मामला 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गयी शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भ्रष्टाचार के आधार पर रद्द कर दिया है, जिनमें ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें आर्थिक राहत देने के लिए भत्ता योजना की घोषणा की थी, जिसमें ग्रुप-सी को 25,000 रुपये और ग्रुप-डी को 20,000 रुपये प्रति माह देना तय किया गया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ 2016 की भर्ती में प्रतीक्षा सूची में शामिल योग्य अभ्यर्थियों ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. उनका कहना था कि जिन लोगों की नौकरी कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आधार पर रद्द की है, उन्हें भत्ता देना गलत है. यदि भत्ता देना ही है, तो उन्हें भी दिया जाना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल पायी थी.

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