15,700 करोड़ निवेश करेगी कोल इंडिया : ट्रांसपोर्ट व लोडिंग सेवा को बेहतर बनाने में जुटी है कंपनी

कोल इंडिया ट्रांसपोर्ट व लोडिंग सेवा को बेहतर करने के लिए कुल 15700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कोल इंडिया की ओर से जारी बयान के अनुसार, प्रथम चरण में कंपनी द्वारा 35 परियोजनाओं पर 12300 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं

By Prabhat Khabar Print Desk | July 1, 2020 1:19 AM

कोलकाता : कोल इंडिया ट्रांसपोर्ट व लोडिंग सेवा को बेहतर करने के लिए कुल 15700 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कोल इंडिया की ओर से जारी बयान के अनुसार, प्रथम चरण में कंपनी द्वारा 35 परियोजनाओं पर 12300 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. वहीं, दूसरे चरण में कंपनी ने खदानों पर परिवहन सुविधा बेहतर करने के तहत अंतिम छोड़ तक संपर्क सुविधा पहल के तहत 14 अतिरिक्त परियोजनाओं की पहचान की है, जिसके लिए 3,400 करोड़ रुपये निवेश किये जायेंगे.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की खदानों के आसपास से कोयला उस स्थल तक सड़क मार्ग से पहुंचाने के बजाय ‘कन्वेयर बेल्ट’ जैसी यंत्रीकृत प्रणाली के उपयोग की योजना है, जहां से उसे आगे भेजा जाना है. इससे परिवहन में लगनेवाला समय कम होगा. कंपनी ने पहले चरण के तहत 35 परियोजनाओं की घोषणा की थी, जिसमें से दो परिचालन में आ गयी हैं.

कंपनी ने एक बयान में कहा : कोल इंडिया की चार कोयला कंपनियों ने संयुक्त रूप से इन परियोजनाओं में करीब 3,400 करोड़ रुपये निवेश करेगी. इन परियोजनाओं कुल सालाना क्षमता 10.05 करोड़ टन है. दूसरे चरण के तहत कुल 14 परियोजनाओं में से सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड 6.25 करोड़ टन सालाना क्षमता की पांच परियोजनाओं पर काम करेगी.

पहले चरण में 35 परियोजनाओं पर खर्च किये जा रहे 12300 करोड़ रुपये

दूसरे चरण में 14 अतिरिक्त परियोजनाएं चिह्नित, 3400 करोड़ का होगा निवेश

इस साल अगस्त में जारी की जायेगी निविदा : बयान के अनुसार, महानदी कोल फील्ड्स के पास दो करोड़ टन सालाना क्षमता की परियोजना है. वहीं, इस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की सात और साउथ इस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड की एक परियोजना है, जिसकी क्षमता क्रमश: 1.4 करोड़ टन सालाना और 40 लाख टन सालाना है. इन परियोजनाओं के लिए निविदा इस साल अगस्त में जारी की जायेगी.

कोल इंडिया का मकसद खदानों के आसपास से कोयला उस स्थल तक सड़क मार्ग से पहुंचाने के बजाय ‘कन्वेयर बेल्ट’ जैसी यंत्रीकृत प्रणाली स्थापित करना है, जहां से उसे आगे भेजा जाना है. इससे परिवहन में लगनेवाला समय कम होगा और ढके होने से धूल के उड़ने से होनेवाला प्रदूषण भी कम होगा.

post by : Pritish Sahay

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