डानकुनी में चला बुलडोजर, सौ से अधिक खटालों को हटाया गया
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार की सुबह से डानकुनी नगरपालिका क्षेत्र में सौ से अधिक अवैध खटालों को हटाने का बड़ा अभियान शुरू किया गया.
प्रतिनिधि, हुगली.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश का पालन करते हुए मंगलवार की सुबह से डानकुनी नगरपालिका क्षेत्र में सौ से अधिक अवैध खटालों को हटाने का बड़ा अभियान शुरू किया गया. भारी पुलिस सुरक्षा के बीच डानकुनी थाने के अंतर्गत नगरपालिका अधिकारियों ने कई अर्थ मूवर मशीनों की मदद से खटालों पर कार्रवाई की. इस संबंध में डानकुनी नगरपालिका की चेयरपर्सन हसीना शबनम ने कहा- इन खटालों के गोबर से डानकुनी की नहरें भर जाती थीं. नगरपालिका ने एक सप्ताह पूर्व अवैध खटाल मालिकों को नोटिस देकर खाली करने का निर्देश दिया था, जिसकी समय सीमा सोमवार को समाप्त हो गचप. मंगलवार को माइकिंग कर स्थानीय लोगों को सूचित किया गया कि अब अवैध खटालों को हटाया जायेगा. इसके बाद ही बुलडोजर चलाकर खटाल हटाने की कार्रवाई शुरू हुई. डानकुनी नगरपालिका क्षेत्र में करीब एक साल पहले सिंचाई विभाग ने कई करोड़ रुपये खर्च कर नहर की मरम्मत करवायी थी, लेकिन नहर के किनारे अवैध खटालों से गोबर और अन्य अपशिष्ट गिरने के कारण नहर का एक हिस्सा फिर से जाम हो गया, जिससे बारिश के मौसम में पूरे नगर क्षेत्र में जलजमाव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही थी. कुछ दिन पहले ही हर खटाल के बाहर नोटिस चिपकाये गये थे और अवैध रूप से खींची गयीं भूगर्भ जल की पाइपलाइनें काट दी गयी थीं. इसके अलावा बिजली विभाग ने भी कई खटालों की बिजली आपूर्ति काट दी थी. पशुपालन विभाग के करीब 100 पशु चिकित्सकों ने खटाल क्षेत्रों में जाकर सैकड़ों गाय, भैंस और बकरियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर आंकड़ा तैयार किया था. इसके बाद ही आज से खटाल हटाने की कार्रवाई शुरू की गयी. राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने जुलाई महीने के भीतर डानकुनी नगरपालिका और चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत आने वाले डानकुनी थाना क्षेत्र के सभी अवैध खटालों को हटाने का निर्देश दिया था. प्रशासन ने कई बार चेतावनी दी, लेकिन खटाल मालिकों की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गयी, जिसके कारण मंगलवार को बुलडोज़र चलाकर कार्रवाई की गयी. गौरतलब है कि डानकुनी और उसके आसपास के इलाकों के खटालों से ही कोलकाता के विभिन्न क्षेत्रों में दूध की आपूर्ति होती है. ऐसे में खटाल उच्छेदन से फिलहाल दूध की कमी हो सकती है, ऐसी आशंका विशेषज्ञों ने जतायी है.
दूसरी ओर, खटाल मालिकों का कहना है कि कई पीढ़ियों से वे यहां रहकर व्यवसाय कर रहे थे. अब खटाल हटाये जाने से वे सैकड़ों मवेशियों के साथ कहां जायेंगे, यह समझ में नहीं आ रहा. उनका यह भी कहना है कि राज्य में पहले से ही रोजगार की स्थिति खराब है, ऐसे में उनके लिए यह व्यवसाय ही जीविका का एकमात्र साधन था, जो अब छिन गया.
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