बुजुर्गों-दिव्यांगों को शिविरों में बुलाने की निंदा

तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि एसआइआर के तहत सत्यापन के लिए अधिकारियों को घर भेजने के बजाय बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग मतदाताओं को उनके घरों से दूर स्थित सुनवाई शिविरों में आने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

By BIJAY KUMAR | December 28, 2025 10:49 PM

कोलकाता.

तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि एसआइआर के तहत सत्यापन के लिए अधिकारियों को घर भेजने के बजाय बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग मतदाताओं को उनके घरों से दूर स्थित सुनवाई शिविरों में आने के लिए मजबूर किया जा रहा है. पार्टी ने इस प्रक्रिया को अमानवीय बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की. गौरतलब है कि अनमैप्ड मतदाताओं की सुनवाई 27 दिसंबर से शुरू हुई है. अनमैप्ड मतदाता वे माने जा रहे हैं, जिनके दस्तावेजों का सटीक मिलान नहीं हो सका है. बैरकपुर के सांसद पार्थ भौमिक ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने उन बुजुर्ग और बीमार मतदाताओं को तलब किया है, जिन्हें गणना प्रपत्रों में कुछ विसंगतियों के कारण अनमैप्ड श्रेणी में रखा गया था. उन्होंने कहा, “यह किसी यातना से कम नहीं है. चलने-फिरने में असमर्थ बुजुर्गों के मामले में पहले उनके घरों पर मतदान कर्मियों को भेजा जाता था. इस बार निर्वाचन आयोग वही प्रक्रिया क्यों नहीं अपना सका?” पार्थ भौमिक ने कहा कि तृणमूल नेताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ बैठकों के दौरान इस मुद्दे को बार-बार उठाया था, लेकिन आयोग ने इसे नजरअंदाज किया. उन्होंने कहा, “हम इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं.” उनके बयान का समर्थन करते हुए राज्य की उद्योग मंत्री डॉ शशि पांजा ने निर्वाचन आयोग के रवैये को अमानवीय करार दिया. उन्होंने कहा, “बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग लोगों को निर्धारित तिथि और समय पर सुनवाई शिविरों तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.” डॉ पांजा ने आगे कहा कि जहां ऐसी खबरें हैं कि कुल 1.36 करोड़ लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया जायेगा, वहीं एक गंभीर तार्किक विसंगति बनी हुई है. उनके अनुसार, उपलब्ध आंकड़े होने के बावजूद निर्वाचन आयोग यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा है कि किन आधारों पर इतने बड़े पैमाने पर लोगों को अस्थायी मतदाता सूची से बाहर रखा गया है.

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