जूट की जगह प्लास्टिक बैग के उपयोग पर नाराजगी

खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए जूट बैग की जगह एक लाख से अधिक एचडीपीई-पीपी प्लास्टिक बैग उपयोग करने की अनुमति दिये जाने से जूट उद्योग और पूर्वी भारत के किसान वर्ग में भारी नाराजगी है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | April 23, 2025 1:44 AM

संवाददाता, कोलकाता

कपड़ा मंत्रालय द्वारा हाल ही में खाद्य निगम तथा हरियाणा और मध्यप्रदेश की राज्य क्रय एजेंसियों को 2025–26 सीजन में खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए जूट बैग की जगह एक लाख से अधिक एचडीपीई-पीपी प्लास्टिक बैग उपयोग करने की अनुमति दिये जाने से जूट उद्योग और पूर्वी भारत के किसान वर्ग में भारी नाराजगी है. यह निर्णय तब लिया गया है जब इन एजेंसियों के लिए पहले से ही 96% जूट बैग की आपूर्ति जूट मिलों द्वारा पूरी की जा चुकी है. भारतीय जूट मिल्स संघ ने इस छूट को ‘गजट अधिसूचनाओं का खुला उल्लंघन’ बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है.

समय पर ऑर्डर न देने का आरोप :

संघ का कहना है कि एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने नवंबर 2024 में जारी आपूर्ति योजना के तहत समय पर ऑर्डर नहीं दिए. जिससे सीजन के अंत में अचानक भारी मात्रा में ऑर्डर दिये गये और मिलों को आपूर्ति के लिए समुचित समय नहीं मिला. फिर भी मिलें 30 अप्रैल तक लगभग पूरी आपूर्ति करने की स्थिति में हैं. संघ के एक प्रवक्ता ने कहा. “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में जब बंगाल. बिहार और असम के किसान नयी फसल के लिए बीज बो रहे हैं. सरकार द्वारा इस तरह की छूट दी जा रही है.”

किसानों और मजदूरों पर असर की आशंका :

संघ के एक प्रवक्ता ने कहा कि इससे कच्चे जूट की मांग पर सीधा असर पड़ेगा. जिससे किसानों में निराशा बढ़ेगी और ग्रामीण आजीविका पर खतरा उत्पन्न होगा. संघ ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अलग-अलग पत्र लिखकर आग्रह किया है कि मई 2025 के लिए कोई अतिरिक्त आवश्यकता होती तो उसे समय पर सूचित कर आपूर्ति योजना में शामिल किया जा सकता था. जूट उद्योग के पास पर्याप्त अतिरिक्त क्षमता है और यह आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है.

मिलें बंद होने की चेतावनी :

संघ ने चेतावनी दी है कि इस प्रकार की छूट यदि तत्काल वापस नहीं ली गयी. तो इससे मिलों के बंद होने. 3.5 लाख से अधिक कामगारों की बेरोजगारी. कच्चे जूट के दामों में उतार-चढ़ाव और मिल क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. संघ ने भारत सरकार से अपील की है कि वह जूट उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए किसी भी छूट को विधिक प्रावधानों और समयबद्ध योजना के तहत ही लागू करे. साथ ही. पश्चिम बंगाल सरकार से भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप का आग्रह किया गया है ताकि राज्य के किसानों और उद्योगों की आजीविका सुरक्षित रह सके.

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