कोलकाता : स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें महिलाएं

कोलकाता : देश में पैडमैन जैसी फिल्मों के प्रदर्शन के बाद महिलाओं में मैनस्ट्रूअल हाइजिन के प्रति कुछ जागरुकता तो बढ़ी है लेकिन अभी भी ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में भारी तादाद में महिलाएं इससे अनभिज्ञ हैं. समाज में आज भी इस मुद्दे पर एक हौवा बना हुआ है, जबकि यह महिलाओं के स्वास्थ्य से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 25, 2019 2:01 AM
कोलकाता : देश में पैडमैन जैसी फिल्मों के प्रदर्शन के बाद महिलाओं में मैनस्ट्रूअल हाइजिन के प्रति कुछ जागरुकता तो बढ़ी है लेकिन अभी भी ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में भारी तादाद में महिलाएं इससे अनभिज्ञ हैं. समाज में आज भी इस मुद्दे पर एक हौवा बना हुआ है, जबकि यह महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा सबसे अहम व महत्वपूर्ण मुद्दा है.
महिलाओं व लड़कियों में मैनस्ट्रूअल हाइजिन जागरुकता फैलाने की जरूरत है. आज भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां महिलाएं मासिक धर्म के दाैरान कपड़ा, मिट्टी व भूसे का प्रयोग करती हैं. ऐसी महिलाओं का प्रतिशत अधिक है, यह बात चाैंकाने वाली है लेकिन वास्तविकता है. इन चीजों के इस्तेमाल से महिलाओं को इनफेक्शन होने का खतरा बना रहता है. यह जानकारी नाइन की सीइओ रिचा सिंह ने एक कार्यक्रम में दी.
पूरे देश में मैन्सट्रूअल हाइजिन जागरुकता फैलाने के लिए काम कर रही रिचा का कहना है कि बंगाल में बांकुड़ा, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना व अन्य पिछड़े इलाकों में अभी भी महिलाएं मासिक धर्म के दाैरान कपड़ा इस्तेमाल करती हैं. उनमें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए पूरे देश में नाइन द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. इतना ही नहीं स्कूलों, कॉलेजों व अन्य संस्थाओं में जाकर एक जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है.
महिलाओं से इस मुद्दे पर खुलकर बात करने व अपनी समस्याएं बताने के लिए सजग किया जा रहा है. उनका कहना है कि अब यह अभियान अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक अफोर्टेबल हाइजिन प्रोडक्ट के रूप में पूरे देश में चलाया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल में लगभग एक लाख सैनीटरी पैड वितरित किये गये हैं. इस राज्य में साक्षरता दर अधिक है, इसके बावजूद मैन्स्ट्रूअल हाइजिन की स्थिति काफी खराब है. बंगाल व अन्य शहरों में अभी मैन्सट्रूअल सैनीटेशन को लेकर कई जागरुकता कार्यक्रम किये जा रहे हैं. आइआइएम, लखनऊ के साथ जुड़कर भी यह अभियान चलाया गया. इसमें कई टॉप विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी उनके अभियान से जुड़ कर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से यह जागरुकता फैला रहे हैं.
नाइन की ओर से 30 वेंडिंग मशीन दिल्ली यूनिवर्सिटी को अनुदान में दी गयी.एफओजीएसआइ व रोटरी क्लब के माध्यम से देश के स्कूलों में भी ये मशीनें लगायी गयी हैं, जिससे महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहें. दो दशक से बिजनेस के क्षेत्र में जुड़ी रिचा का कहना है कि मासिक धर्म (मैन्स्ट्रूअल हाइजिन) को लेकर सभी वर्गों में अलग-अलग भ्रांतियां व गलत धारणाएं अभी भी कायम हैं. इस सोच को बदलने की जरूरत है. कुछ एनजीओ व फेडरेशन ऑफ ओब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के सहयोग से भी यह जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है.

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