मुसीबत. भाषा विवाद को लेकर सुलगा पहाड़, गोजमुमो समर्थकों और पुलिस में झड़प, हिंसक प्रदर्शन के बाद सेना तैनात

पहाड़ में गुरुवार को बांग्ला भाषा के मुद्दे ने हिंसक रूप ले लिया. गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने बांग्ला भाषा को पहाड़वासियों पर थोपने का आरोप लगाकर रैली निकाली. इस दौरान गोजमुमो समर्थकों की पुलिस से भिड़ंत हो गयी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के वाहनों सहित 15 से ज्यादा गाड़ियों में आग लगा दी. पुलिस ने हालात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2017 9:08 AM
पहाड़ में गुरुवार को बांग्ला भाषा के मुद्दे ने हिंसक रूप ले लिया. गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने बांग्ला भाषा को पहाड़वासियों पर थोपने का आरोप लगाकर रैली निकाली. इस दौरान गोजमुमो समर्थकों की पुलिस से भिड़ंत हो गयी. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के वाहनों सहित 15 से ज्यादा गाड़ियों में आग लगा दी. पुलिस ने हालात काबू में करने के िलए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े. स्थिित संभालने के लिए बाद में राज्य सरकार ने सेना बुला ली. दार्जिलिंग में सेना तैनात हो गयी है. शुक्रवार को गोजमुमो ने 12 घंटे के बंद का एलान किया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पहली से दसवीं कक्षा तक बांग्ला भाषा की पढ़ाई अनिवार्य करने का फैसला किया है. गोजमुमो इसका विरोध कर रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि पहाड़ में बांग्ला अनिवार्य विषय नहीं होगा. यह एच्छिक रहेगी. गुरुवार को वर्षों बाद दार्जिलिंग में राज्य कैबिनेट की बैठक हुई. गोरखा मुक्ति मोरचा ने मांग की थी कि इसी बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास किया जाये कि पहाड़ी क्षेत्र में बांग्ला भाषा का अध्ययन अनिवार्य नहीं किया जायेगा.
दार्जिलिंग: कई सालों तक शांत रहने के बाद दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र एक बार फिर सुलग उठा है. गोरखालैंड की मांग को लेकर वाम सरकार के समय रह-रह कर सुलगने वाला पहाड़ इस बार भाषा विवाद को लेकर गरमा गया है. गुरुवार को एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग स्थित राजभवन में कैबिनेट की बैठक की, तो दूसरी तरफ गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं. प्रदर्शनकारियों ने पथराव करने के साथ 15 से ज्यादा वाहनों में आग लगा दी. पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे. स्थिति गंभीर होती देख राज्य सरकार ने सेना बुला ली. जाला पहाड़ कैंप से सेना की एक कंपनी दार्जिलिंग पहुंच गयी है. पुलिस और स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, दर्जनों पुलिस कर्मी और सौ के करीब प्रदर्शनकारी जख्मी हुए हैं. इस बीच, गोजमुमो की केंद्रीय समिति के सह-सचिव ज्योति कुमार राई ने एलान किया कि शुक्रवार को पहाड़ 12 घंटे तक बंद रहेगा. पर्यटकों को बंद से मुक्त रखा गया है. उन्होंने कहा कि गुरुवार को जो कुछ हुआ है, उससे गोजमुमो का कोई लेना-देना नहीं है.
गोजमुमो बीते कई दिनों से बांग्ला भाषा की पढ़ाई सभी के लिए अनिवार्य किये जाने की खबर के विरोध में पहाड़ पर रैलियां व सभा कर रहा है. उसकी मांग थी कि कैबिनेट बैठक में बांग्ला की अनिवार्यता नहीं होने और नेपाली के संरक्षण का प्रस्ताव लाया जाये. इसी क्रम में गुरुवार को भी विरोध रैली निकाली गयी. पूर्व घोषणा के अनुसार गोजमुमो की ओर से शहर से लेकर गांव-बस्ती तक से रैली निकली. रैली में शामिल लोगों ने गोरखा रंगमंच भवन के आगे जमीन पर बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया. राजभवन में कैबिनेट बैठक को ध्यान में रखते हुए गोरखा रंगमंच भवन के आगे बैरिकेड लगाया गया था और बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गयी थी.
कैबिनेट बैठक समाप्त होने की खबर मिलने के बाद मोरचा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने समर्थकों से गोरखा रंगमंच भवन के भीतर आने की अपील की. इसके बाद सभी समर्थक गोरखा रंगमंच भवन परिसर में घुसे और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला लेकर बाहर निकले. उन्होंने नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया. इसी दौरान अचानक हंगामा शुरू हुआ. हो-हल्ला के साथ भगदड़ मच गयी. मोरचा समर्थकों ने पुलिस की ओर पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बड़ी संख्या में आंसू गैस के गोले दागे. घंटों तक पथराव और जवाब में आंसू गैस छोड़ने का सिलसिला जारी रहा.
जिस वक्त यह सब हो रहा था, मोरचा प्रमुख विमल गुरुंग और उसके अन्य शीर्ष नेता गोरखा रंगमंच भवन के भीतर थे. गोजमुमो सूत्रों ने बताया कि समर्थकों से शांति बनाये रहने की अपील भी की गयी. उपद्रवियों ने जो वाहन जलाये उनमें पुलिस की गाड़ी और सरकारी बस भी शामिल है. इस घटना के चलते दार्जिलिंग के सभी बाजार बंद हो गये. कालिम्पोंग समेत पहाड़ के अन्य शहरों से भी गोजमुमो के विरोध प्रदर्शन की खबरें हैं.
मुख्यमंत्री ने हिंसा की निंदा की
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोरचा के आंदोलन के हिंसक होने की घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने स्थानीय प्रशासन को हर जरूरी कदम उठाने का निर्देश देते हुए कहा कि दार्जिलिंग में फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित ढंग से बाहर निकाला जायेगा. उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि प्रतियोगिता विकास के लिए होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई मुद्दा न होने की वजह से इस तरह की िवध्वंस की राजनीति की जा रही है. मुख्यमंत्री दार्जिलिंग में ही हैं.
हटाये गये जीटीए के सचिव रवींद्र सिंह
कोलकाता. दार्जिलिंग में हिंसा के बाद राज्य सरकार ने गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के सचिव रवींद्र सिंह को हटा दिया है. उनकी जगह उत्तर बंग विकास पर्षद के वरुण राय को जीटीए का सचिव बनाया गया है. यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावी होगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर यह फेरबदल किया गया है.