एसएससी आंसर शीट विवाद हाइकोर्ट पहुंचा, विशेषज्ञों की भूमिका पर उठे सवाल
स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) द्वारा कक्षा 11वीं और 12वीं के परिणाम जारी किये जाने के बाद प्रीलिम्स और फाइनल आंसर शीट में अंतर को लेकर विवाद गहरा गया है.
प्रीलिम्स और फाइनल आंसर की में अंतर, आयोग से पूछा- एक्सपर्ट होते हुए भी गलती क्यों?
संवाददाता, कोलकाता
स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) द्वारा कक्षा 11वीं और 12वीं के परिणाम जारी किये जाने के बाद प्रीलिम्स और फाइनल आंसर शीट में अंतर को लेकर विवाद गहरा गया है. इसी मुद्दे पर दायर एक याचिका पर मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान आंसर शीट वेरिफिकेशन प्रक्रिया और प्रश्नपत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे. कोर्ट ने जानना चाहा कि जब एक्सपर्ट ही प्रश्न तैयार करते हैं, तो आंसर की में गलतियां कैसे रह गयीं? मंगलवार की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील सुदीप्ता दासगुप्ता ने बताया कि एक प्रश्न के लिए प्रीलिम्स आंसर की में विकल्प ‘डी’ को सही बताया गया था, लेकिन फाइनल आंसर की में ‘बी’ और ‘सी’ दोनों को सही घोषित कर दिया गया. इस पर जस्टिस विश्वजीत बसु ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि आयोग के प्रिंसिपल, टीचर्स या प्रश्नपत्र तैयार करने वाले ने ‘डी’ को सही मान लिया, जबकि सही उत्तर क्या है, यह उन्हें मालूम ही नहीं? अगर एक्सपर्ट ही उत्तर नहीं जानते, तो ऐसे टीचर किस प्रकार के हैं?”
कमीशन की ओर से पेश वकील कल्याण बनर्जी ने दलील दी कि यह फाइनल राय एक्सपर्ट कमेटी की होती है और आयोग को उसी के मुताबिक चलना पड़ता है. इस पर जस्टिस बसु ने टिप्पणी की, “क्या कोर्ट एक्सपर्ट्स पर ओवर-एक्सपर्ट्स नियुक्त करेगा? यह नियमों के खिलाफ है. ”
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यदि एक प्रश्न के कई सही उत्तर मौजूद बताये जा रहे हैं, तो अभ्यर्थियों को बोनस अंक दिए जाने चाहिए. कोर्ट ने रिकॉर्ड में पाया कि लिखित परीक्षा के कई सवालों की शुरुआती और अंतिम आंसर-की में अंतर है.
कोर्ट ने कहा कि नियमों के अनुसार शुरुआती आंसर की कॉलेज और विश्वविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसर तैयार करते हैं. इसलिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि फाइनल आंसर की की समीक्षा करने के लिए आयोग किन विशेषज्ञों को पेपर चेकर नियुक्त करता है.
कोर्ट ने कहा कि वह इस तकनीकी मामले का विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए इस पर निर्णय आयोग को ही लेना होगा. जस्टिस बसु ने निर्देश दिया कि आयोग यह सुनिश्चित करे कि असिस्टेंट प्रोफेसर और विशेषज्ञ किस प्रकार के प्रश्न तैयार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आयोग जल्द से जल्द इस मुद्दे पर विचार करे और परीक्षार्थियों को उचित अवसर दिया जाये. कोर्ट ने यह भी कहा कि आवश्यकता होने पर आयोग दूसरी एक्सपर्ट कमेटी भी नियुक्त कर सकता है.
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