सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर शिक्षक समाज में चिंता
रुद्र ने बताया कि 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा से संबंधित ऐसा निर्णय दिया है, जिसने देशभर में शिक्षक समाज में उत्तेजना और तनाव पैदा कर दिया है.
वेस्ट बंगाल प्राइमरी ट्रेंड टीचर्स एसोसिएशन ने एनसीटीई को लिखा पत्र
बर्नपुर. वेस्ट बंगाल प्राइमरी ट्रेंड टीचर्स एसोसिएशन (ओल्ड) के अध्यक्ष अशोक रुद्र ने टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को लेकर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के चेयरपर्सन प्रोफेसर पंकज अरोड़ा को पत्र लिखा. रुद्र ने बताया कि 1 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा से संबंधित ऐसा निर्णय दिया है, जिसने देशभर में शिक्षक समाज में उत्तेजना और तनाव पैदा कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव : सुप्रीम कोर्ट के अनुसार 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए भी टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य हो गया है. इससे लगभग 40 लाख शिक्षकों के रोजगार पर संकट उत्पन्न हो गया है, जिसमें पश्चिम बंगाल के करीब 3-4 लाख और हमारे जिले के लगभग 4000 शिक्षक शामिल हैं. रुद्र ने बताया कि राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट 26 अगस्त 2010 को लागू हुआ था, और उसके बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए ही टीईटी अनिवार्य था.
शिक्षक समाज की मांग और संगठन की प्रतिक्रिया ः अशोक रुद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके शिक्षक भी इसके दायरे में आ गए हैं, जिनकी उम्र 55 वर्ष तक है. उन्होंने एनसीटीई से गुहार लगाई है कि इस मामले में अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने शिक्षक समाज के पक्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत नहीं किया. संगठन का सुझाव है कि सरकार एक ऑर्डिनेंस के माध्यम से इस निर्णय में बदलाव करे और नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए, ताकि 40 लाख प्राइमरी और अपर प्राइमरी शिक्षक राहत पा सकें.
इस विषय को लेकर शुक्रवार को अध्यक्ष अशोक रुद्र ने संगठन के सदस्यों के साथ बैठक की और आगामी रणनीति पर चर्चा की.
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