वाराणसी में यूपी का पहला पशु विद्युत शवदाह गृह तैयार, राख से बनाई जाएगी खाद, पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे लोकार्पण

वाराणसी: इस तरह मृत पशुओं के शव इधर-उधर फेंके जाने से होने वाली मुश्किलों से लोगों को निजात मिले सकेगी. अब सार्वजनिक स्थानों पर पशुओं के शव फेंके हुए नजर नहीं आएंगे. इससे प्रदूषण पर भी प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस पहल को काफी अहम माना जा रहा है.

By Sanjay Singh | March 9, 2023 11:38 AM

Varanasi: उत्तर प्रदेश का पहला पशु विद्युत शवदाह गृह वाराणसी में बनकर तैयार हो गया है. चिरईगांव ब्लॉक के जाल्हूपुर गांव में तैयार इस विद्युत शवदाह गृह में मशीनें स्थापित हो चुकी हैं. शवदाह गृह तक पहुंचने का रास्ता निर्माण और फिनिशिंग के काम को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. जिला पंचायत ने इस कार्य को 20 मार्च तक हर हाल में पूरा कराने का निर्देश दिया है.

लोगों को दुर्गंध से मिलेगी राहत, प्रदूषण से मिलेगी निजात

इस तरह मृत पशुओं के शव इधर-उधर फेंके जाने से होने वाली मुश्किलों से लोगों को निजात मिले सकेगी. अब सार्वजनिक स्थानों पर पशुओं के शव फेंके हुए नजर नहीं आएंगे. इससे प्रदूषण पर भी प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस पहल को काफी अहम माना जा रहा है. प्रधानमंत्री का काशी आगमन 23 से 25 मार्च के बीच संभावित है. इस दौरान वह काशी वासियों को कई योजनाओं की सौगात देंगे. प्रधानमंत्री के लोकार्पण की सूची में पशु विद्युत शवदाह गृह को भी स्थान मिल सकता है.

2.24 करोड़ की लागत से हुआ तैयार

पशु शवदाह गृह का निर्माण कार्यदायी एजेंसी सिकान पाल्लूटेक सिस्टमस प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ की ओर से किया गया है. पशु शवदाह गृह 0.1180 हेक्टेयर भूमि पर तैयार हुआ है. इसकी लागत कुल 2.24 दो करोड़ रुपये बताई जा रही है. पशु शवदाह गृह के संयत्र बिजली व गैस से संचालित होंगे. इस तरह यह पूरी तरह प्रदूषण रहित होगा. बिजली नहीं होने पर लगभग 75 केवीए के जनरेटर की व्यवस्था की गई है.

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एक दिन में इतने पशुओं का हो सकेगा डिस्पोजल

इलेक्ट्रिक संयत्र की क्षमता प्रतिघंटा 400 किलो डिस्पोजल की है. इस संयत्र में एक दिन में 10 से 12 पशुओं का डिस्पोजल यहां किया जा सकेगा. चिमनी भी लगी है. डिस्पोजल की राख खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किए जाने की बात है. एक पशु का वजन लगभग ढाई सौ से 400 किलो तक होता है.

शव उठाने के लिए पशु कैचर की होगी खरीद

डिस्पोजल के बाद बची राख का इस्तेमाल खाद में हो सकेगा. पशुपालकों को और किसानों को डिस्पोजल और खाद का शुल्क देना होगा या यह निशुल्क होगा, इसका निर्णय जिला पंचायत करेगी. वहीं मृत पशुओं को उठाने के लिए जिला पंचायत पशु कैचर भी खरीदेगा.

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