UP Election 2022: बीजेपी के चाणक्य अमित शाह की वेस्ट यूपी के कैराना से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ शुरू

योगी-अमित शाह ने पलायन के मुद्दे को फिर किया जिंदा, पलायन के बाद वापस लौटे लोगों से मिले, डोर टू डोर जनसंपर्सक शुरू किया, सपा-रालोद गठबंधन के लिए खड़ी की बड़ी चुनौती

By Amit Yadav | January 22, 2022 5:39 PM

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दी है. गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी कमान संभाली है. सर्जिकल स्ट्राइक की शुरुआत पश्चिम उत्तर प्रदेश से शनिवार 22 जनवरी शुरू की गई. सपा-रालोद गठबंधन और किसान आंदोलन के कारण बीजेपी की स्थित को यहां कुछ हल्का माना जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर से 2017 चुनाव के मुद्दे ‘पलायन’ को पश्चिम उत्तर प्रदेश में हवा दे दी है.

80 वर्सेस 20 का मुद्दा इस चुनाव में भी हावी

यूपी में विधानसभा चुनाव का मुद्दा इस बार भी बीजेपी ने 80 वर्सेस 20 कर दिया है. बीजेपी के कर्ता-धर्ता हमेशा से इस पिच पर अपने आपको सहज पाते हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश में पलायन और मुजफ्फर नगर दंगे के मुद्दे को उठाकर बीजेपी ने 2017 में बड़ी जीत हासिल की थी. उस बार भी चुनाव 80 वर्सेज 20 हो गया था. 2022 चुनाव में भी पलायन करके जा चुके लोगों को वापस बुलाने और उनसे मिलने-मिलाने का दौर शुरू करके बीजेपी आलाकमान ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं.

2017 चुनाव की फतह को दोहराना बना चुनौती

2017 विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 80 फीसदी सीटें जीती थी. यह संख्या लगभग 109 बैठती है. जबकि सत्ताधारी पार्टी समाजवादी पार्टी को मात्र 21 सीटें मिली थी और बीएसपी को 3 सीटें मिली थी. रालोद को सिर्फ एक सीट ही मिली थी. विधानसभा चुनाव की बंपर सफलता के बाद 2019 में भी पश्चिम उत्तर प्रदेश के वोटर ने निराश नहीं किया. यहां की 27 लोकसभा सीटों में से 19 बीजेपी को दी थी. माना गया था कि मुजफ्फर नगर दंगा और कैराना से पलायन का मुद्दा अखिलेश यादव सरकार के पतन का मुख्य कारण बना था.

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अखिलेश यादव-जयंत चौधरी का मेल, खिलाएगा नया गुल

लेकिन इस बार मामला कुछ अलग हो गया है. किसान आंदोलन ने बीजेपी के समीकरण कुछ गड़बड़ा दिया है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के हाथ मिला लेने से बीजेपी की यूपी को दोबारा फतह करने की प्लानिंग गड़बड़ा गई. बीजेपी ने चौधरी चरण सिंह के जाट-मुस्लिम भाईचारे को मुजफ्फर नगर दंगे से हवा देकर 2017 में तोड़ा था, उसे अखिलेश और जयंत के मेल ने फिर से जमीन पर खड़ा करने कोशिश की है. इसी के चलते बीजेपी को 2022 चुनाव में अपने पुराने एजेंडे पर वापस आना पड़ा़

पश्चिम यूपी पर एक नजर

पश्चिम उत्तर प्रदेश में कुल 26 जिले आते हैं. इन जिलों में कुल 136 विधान सभा सीटें हैं. इन्हीं में से 113 सीटों पर 2022 विधान सभा चुनाव में पहले और दूसरे चरण में मतदान होना है. पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों और दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों की 55 सीटों पर वोटिंग होनी है. बचे हुए छह जिलों में तीसरे चरण में चुनाव होना है.

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क्या है कैराना मुद्दा ?

वर्ष 2016 में बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने कैराना से हिंदुओं के पलायन का आरोप लगाया था. तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर यह बड़ा हमला था. पश्चिम उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ यह हमला पूरे पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत का कारण बना था. अब 2022 में भी बीजेपी पलायन के मुद्दे को मैदान में है. बीजेपी का ही दावा है कि पलायन करने वाले उनकी सरकार में वापस लौट आए हैं.

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