श्रीराम जन्मभूमि की सुरक्षा के लिए पहुंचे SSF के 280 जवान, मस्जिद के लिए 300 करोड़ जुटाने को अभियान जारी

विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) श्रीराम जन्मभूमि के आंतरिक परिसर और उससे सटे बाहरी परिसर की सुरक्षा संभालेगा. दरअसल रामनगरी अयोध्या को कुल छह कंपनी एसएसएफ की मिलनी है. पहले चरण में तीन कंपनी मिल गई है आने वाले समय में तीन अन्य कंपनी एसएसफ भी मिल जाएगी.

By Sanjay Singh | September 12, 2023 11:16 AM

Ayodhya: रामनगरी अयोध्या में रामलला के भव्य ​मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच सुरक्षा व्यवस्था और चाक चौबंद की जा रही है. इसी कड़ी में श्रीराम जन्मभूमि की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) की तीन कंपनी अयोध्या पहुंच गई है. एसएसएफ की इन तीन कंपनी में 280 जवान है. पुलिस लाइन में सभी जवान अपनी आमद करा चुके हैं. जल्द ही ये सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल लेंगे.

श्रीराम जन्मभूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर की संभालेंगे जिम्मेदारी

क्षेत्राधिकारी अयोध्या एसपी गौतम ने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर में इन जवानों को तैनाती से पहले दस दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके बाद तैनाती की जाएगी. पीएसी जवानों के साथ मिलकर यह फोर्स श्रीराम जन्मभूमि के आंतरिक परिसर और उससे सटे बाहरी परिसर की सुरक्षा संभालेगी. दरअसल रामनगरी अयोध्या को कुल छह कंपनी एसएसएफ की मिलनी है. पहले चरण में तीन कंपनी मिल गई है आने वाले समय में तीन अन्य कंपनी एसएसफ भी मिल जाएगी.

पुलिस-पीएसी के जवान चुनकर किया गया है एसएसएफ का गठन

दरअसल एसएसएफ का गठन यूपी सरकार ने पुलिस और पीएसी के सर्वश्रेष्ठ जवानों को चुनकर किया है. उन्हें सुरक्षा के लिए विशेष ट्रेनिंग भी दी गई है. वहीं अयोध्या में स्पेशल ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सुरक्षा चुनौतियों से निपटने को लेकर जानकारी दी जाएगी. इसके साथ ही किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई को लेकर उन्हें लोकेशन और रूट मैप से भी अवगत कराया जाएगा.

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सुरक्षा के लिहाज से रेड और यलो जोन में बांटा गया है परिसर

रामलला की सुरक्षा में सबसे भीतरी और अंतिम भाग की सुरक्षा पूरी तरह सीआरपीएफ के हाथ में है. इसके लिए एक महिला बटालियन सहित सीआरपीएफ की 6 बटालियन मौजूदा समय में तैनात हैं. वहीं पीएसी की 12 कंपनी भी श्रीराम जन्मभूमि परिसर की सुरक्षा में लगाई गई हैं. रामलला की सुरक्षा में सीआरपीएफ के कमांडो तैनात होते हैं. वही मंदिर के बाहरी हिस्से और चेकिंग प्वाइंट पर सिविल पुलिस के महिला और पुलिस पुरुषकर्मी की तैनाती की गई है. श्रीराम जन्मभूमि परिसर को रेड जोन कहा जाता है और इसके बाहरी भाग को यलो जोन के नाम से जाना जाता है. यलो जोन की सुरक्षा सिविल पुलिस और पीएसी के हाथ में रहती है. इसके लिए पीएसी की अतिरिक्त कंपनियां तैनात की गई हैं.

22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी

अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख को लेकर भले ही अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि 22 जनवरी 2024 को शुभ मुहूर्त में रामलला गर्भगृह में विराजमान होंगे. श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास भी इसे लेकर बयान दे चुके हैं.

भीड़ प्रबंधन पर सबसे ज्यादा जोर

इसके मद्देनजर पुलिस और प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा पुख्ता करने में जुटा है. खास तौर से श्रद्धालुओं की भीड़ प्रबंधन को लेकर फोकस किया जा रहा है. प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य यजमान के तौर पर आएंगे. इस आयोजन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी होंगे. ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाया जा रहा है, जिससे जब भी श्रद्धालु यहां आएंगे एक अच्छा अनुभव लेकर जाएं.

प्राण प्रतिष्ठा के दिन करोड़ों घरों में जलाए जाएंगे पांच दीपक

विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष के मुताबिक प्रतिष्ठा समारोह के दिन देशभर के मठ-मंदिरों में पूजा, यज्ञ, हवन और आरती की जाएगी. इसके साथ ही हर घर में राम भक्त रात में पांच दीपक जरूर जलाएंगे और करोड़ों भक्तों के बीच प्रसाद भी बांटा जाएगा. रामलला के दर्शन एक साथ 25,000 लोग कर सकेंगे. यहां शौचालय, बिजली, पानी, लाकर और बैठने की समुचित व्यवस्था के लिए तीर्थयात्री सेवा केंद्र व चिकित्सालय भी बनेगा. श्रद्धालुओं से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा. आरती और दर्शन का भी कोई शुल्क नहीं लगेगा.

51 इंच लंबे विग्रह में इस रूप में नजर आएंगे रामलला

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा 51 इंच लंबी होगी. इसमें प्रभु का बालरूप में दर्शन होगा.रामलला की प्रतिमा खड़े बालक के रूप में गर्भगृह में बने चबूतरे के ऊपर कमल पर स्थापित की जाएगी. रामलला की प्रतिमा की ऊंचाई आदि तय करने में खगोल विज्ञानियों की राय भी ली गई है, ताकि सूर्य की पहली किरण उनके ललाट पर पड़े.

अयोध्या मस्जिद के लिए धन संग्रह अभियान जारी

इस बीच अयोध्या मस्जिद के भी लिए धन संग्रह जारी है. बताया जा रहा है कि प्रचार-प्रसार से दूर यह अभियान एक महीने से चल रहा है और अक्टूबर तक चलेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तीन महीने बाद मस्जिद के लिए रामजन्मभूमि परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर पांच एकड़ भूमि दी गई थी. मस्जिद निर्माण से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद धन संग्रह किया जा रहा है.

मस्जिद के साथ इनका होगा निर्माण

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण का आदेश भी शामिल था. लेकिन, शुरुआत में भूमि की उपलब्धता और बाद में मस्जिद का मानचित्र स्वीकृत होने की प्रक्रिया के चलते अयोध्या मस्जिद का निर्माण लंबा खींचता चला गया. इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की योजना मस्जिद के साथ उसके पूरक प्रकल्प के रूप में तीन सौ बेड के कैंसर हॉस्पिटल, प्रतिदिन एक हजार लोगों के लिए नि:शुल्क भोजनालय और विशाल पुस्तकालय स्थापित करने की है.

300 करोड़ की लागत से किया जाएगा निर्माण

इसके लिए करीब तीन सौ करोड़ रुपए की आवश्यकता का अनुमान है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के तीन माह बाद मस्जिद के लिए रामजन्मभूमि परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के ग्राम धन्नीपुर में पांच एकड़ भूमि तो सुलभ हुई. हालांकि अयोध्या विकास प्राधिकरण से मस्जिद के मानचित्र की स्वीकृति जनवरी 2023 में संभव हो सकी.

इसके बाद मस्जिद बनाने के लिए गठित ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद और उससे जुड़े प्रकल्पों के निर्माण के लिए धन का इंतजाम करने का फैसाला किया. इसके लिए अब धन संग्रह किया जा रहा है.

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