मुन्ना बजरंगी के डॉन बनने की पूरी कहानी, बीजेपी नेता को मारी थी 100 गोलियां

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी की आज सुबह बागपत जेल में हत्या कर दी गयी. इस हत्या का आरोप दूसरे डॉन सुनील राठी पर लग रहा है. बताया जा रहा है कि आज मुन्ना बजरंगी की रेलवे से जुड़े एक मामले में कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन उसके पहले ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 9, 2018 11:12 AM


लखनऊ :
उत्तर प्रदेश के कुख्यात डॉन मुन्ना बजरंगी की आज सुबह बागपत जेल में हत्या कर दी गयी. इस हत्या का आरोप दूसरे डॉन सुनील राठी पर लग रहा है. बताया जा रहा है कि आज मुन्ना बजरंगी की रेलवे से जुड़े एक मामले में कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन उसके पहले ही उसे गोलियों से भून दिया गया. मुन्ना बजरंगी का शव खून से लथपथ जेल में वहां मिला जहां कैदी हाथ-मुंह धोते थे. सूत्रों के हवाले से ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि यह पूरी तरह से राजनीतिक षडयंत्र का परिणाम है और इस हत्या से योगी आदित्यनाथ की सरकार की किरकिरी हो रही है, जिसके कारण जेल के सुपरिडेंडेट व डिप्टी सुपरिडेंडेट को सस्पेंड कर दिया गया है. कुछ दिनों पहले मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने आशंका जतायी थी कि उनके पति की हत्या हो सकती है. हत्या के षडयंत्र की आशंका इसलिए जतायी जा रही है क्योंकि जिस सुनील राठी ने बजरंगी की हत्या की वह उसके साथ ही बैरक में था. दोनों की पृष्ठभूमि राजनीतिक थी.

जानें मुन्ना बजरंगी का अतीत

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का रहने वाले मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था. उसका जन्म 1967 में जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाना चाहता थे मगर मुन्ना बजरंगी ने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. 15-16 की उम्र में उसने जुर्म की दुनिया में दस्तक दे दी थी. जब वह 17 साल का था तो उसपर अवैध हथियार रखने का पहला मामला दर्ज हुआ था. उसके बाद तो वह अपराध के जगत में आगे बढ़ता ही गया. कुछ ही दिनों में मुन्ना बजरंगी की अपराध की दुनिया में पहचान बन गयी और उसने जौनपुर के डॉन गजराज सिंह का गैंग ज्वाइंन कर लिया. मुन्ना पर लगभग 40 हत्या का आरोप है. उसने पहली हत्या 1984 में की थी. मुन्ना बजरंगी ने भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या की थी.
अपनी बढ़ती ताकत को और बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी ने 90 के दशक में बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के गैंग को ज्वाइंन कर लिया. अंसारी को सपा का संरक्षण प्राप्त था और वे सपा के विधायक भी रहे थे. यहां से मुन्ना की इंट्री राजनीति में हुई और वह सरकारी ठेकों के लेन-देन में शामिल हो गया. यहीं से मुन्ना के दुश्मनों की लिस्ट लंबी हो गयी.
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था. लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था. उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था. इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे. इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे. कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था.

उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी. कृष्णानंद राय की हत्या लखनऊ हाईवे पर मुन्ना बजरंगी ने कर दी जिसके बाद पूरे प्रदेश के साथ ही देश में भी लोग मुन्ना बजरंगी से डरने लगे. वर्ष 2009 में जब उसकी मुंबई से गिरफ्तारी हुई तो वह एक फ्लैट में दो औरतों के साथ रहता था और अपनी पहचान छुपाने के लिए मुंबई में टैक्सी चलाता था. मुन्ना ने बस कंडक्टर का काम भी किया था.

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