प्रयागराज के छतौनी गांव में हुआ था महंत नरेंद्र गिरि का जन्म, जानिए उनके परिवार में कौन-कौन हैं?

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी मठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि का जन्म प्रयागराज जिले के ही सराय ममरेज के छतौना गांव में हुआ था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2021 12:49 PM

प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से न केवल देश का संत समाज बल्कि धार्मिक आस्था रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति दुखी और व्यथित है. ऐसी परिस्थिति में हर किसी के मन में महंत नरेंद्र गिरि के बारे में गहराई से जानने की उत्सुकता बनी है. लोग यह जानना चाहते हैं कि उनका जन्म कहां हुआ और उनके परिवार में और कौन-कौन है.

छतौली गांव में हुआ था महंत नरेंद्र गिरि का जन्म

मीडिया की खबरों के अनुसार, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी मठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि का जन्म प्रयागराज जिले के ही सराय ममरेज के छतौना गांव में हुआ था. उनका बचपन का नाम नरेंद्र सिंह था. खबरों के अनुसार, उनके पिता का नाम भानु प्रताप सिंह था और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हुए थे. खबरों के अनुसार, महंत नरेंद्र गिरि ने स्थानीय बाबू सरजू प्रसाद सिंह इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की थी.

चार भाइयों में दूसरे नंबर पर थे नरेंद्र

मीडिया की खबरों के अनुसार, महंत महेंद्र गिरि अपने चार भाइयों में मंझले भाई थे. उनके बाकी के तीन भाइयों के नाम अशोक कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह और आनंद सिंह है. उनके दो भाई शिक्षिक हैं. इनमें से एक गाजियाबाद में पदस्थापित हैं, जबकि इनके तीसरे भाई होमगार्ड विभाग में तैनात हैं. उनकी दो बहन भी हैं, जिनकी शादी प्रतापगढ़ जिले में की गई है.

जन्मस्थली के लोगों से था लगाव

संन्यासी जीवन में प्रवेश करने के बाद हालांकि उनके अपने परिवार से नाता न के बराबर रहा, लेकिन अपने गांव वालों से ताल्लुकात बने रहे. बताया जा रहा है कि अपने गांव या फिर उसके आसपास के इलाकों में होने वाले प्रमुख कार्यक्रमों में वे बतौर मुख्य अतिथि शामिल भी होते रहे हैं.

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संदिग्ध मौत से स्तब्ध हैं लोग

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद से न केवल उनके परिवार के लोग बल्कि पूरे इलाके के लोग स्तब्ध हैं. हर कोई यही कह रहा है कि नरेंद्र गिरि जैसा व्यक्ति आत्महत्या कर ही नहीं सकते. वे तो खद ही दूसरों को जीवन के महत्व के बारे में बताया करते थे. इस दुखद घटना की सूचना मिलने के बाद उनके गांव और उसके आसपास के लोग प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ पहुंचकर उनका दर्शन कर रहे हैं.

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