यूपी के इस यूनिवर्सिटी में होगी रामचरित मानस और गीता में लिखे विज्ञान की पढ़ाई, सिलेबस की तैयारी को लेकर समिति गठित…

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में छात्र- छात्राएं जल्द ही रामचरित मानस और श्रीमद्भागवत गीता में लिखे विज्ञान की पढ़ाई करेंगे. इसका सिलेबस तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित बन गयी है. विवि की अकादमिक परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक में निर्णय लिया गया है. इन दोनों पाठ्यक्रमों में एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स और दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जायेगा.

By Prabhat Khabar | September 23, 2020 9:41 AM

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में छात्र- छात्राएं जल्द ही रामचरित मानस और श्रीमद्भागवत गीता में लिखे विज्ञान की पढ़ाई करेंगे. इसका सिलेबस तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित बन गयी है. विवि की अकादमिक परिषद (एकेडमिक काउंसिल) की बैठक में निर्णय लिया गया है. इन दोनों पाठ्यक्रमों में एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स और दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू किया जायेगा.

काउंसिल की बैठक में कई निर्णय

कुलपति प्रो. एनके तनेजा की अध्यक्षता में काउंसिल की बैठक में कई निर्णय हुए. रामचरित मानस और श्रीमद्भागवत गीता में बहुत सारी बातें वैज्ञानिक हैं, जिसे आधुनिक विज्ञान भी स्वीकारता है. विवि की कमेटी उसी विज्ञान को लेकर पाठ्यक्रम तैयार करेगी. कमेटी में प्रो. एचपी गौतम, कला के संकायाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी, विज्ञान के संकायाध्यक्ष एमके गुप्ता को रखा गया है, जो सिलेबस तैयार करेंगे. सिलेबस बनने के बाद इसे कार्यपरिषद में रखा जायेगा. उम्मीद है कि अगले साल से यह पाठ्यक्रम शुरू हो जाये.

वर्ष 2021 से कई विषय में स्नातक

एकेडमिक काउंसिल ने नयी शिक्षा नीति के अनुसार एमफिल पाठ्यक्रम को समाप्त करने पर अपनी सहमति दे दी है. साथ ही नयी शिक्षा नीति को स्वीकार कर लिया है. अगले साल 2021 से नयी शिक्षा नीति के तहत विवि में स्नातक स्तर पर बहुविषयक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए भी कहा गया है. अगले शैक्षणिक सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष में छात्रों को बहुविषयक पढऩे को मिलेगा. इसमें पांच से छह विषय भी हो सकते हैं. स्नातक तीसरे साल में विषय कम होंगे, स्नातक चौथे साल में एक विषय रह सकता है. इसके लिए सभी संकायाध्यक्षों को बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक बुलाकर पाठ्यक्रम निर्धारित करने के लिए कहा गया है.

आइटीआइ के बाद स्नातक में प्रवेश

हाईस्कूल पास होने के बाद दो वर्ष आइटीआइ डिप्लोमा करने वाले बीए और बीकाम में प्रवेश ले सकेंगे. इसी तरह हाईस्कूल के बाद दो वर्ष या तीन वर्ष इलेक्ट्रानिक्स कंप्यूटर साइंस, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, पॉलीटेक्निक डिप्लोमा करने वाले छात्र भी प्रवेश ले सकेंगे. इसके लिए उन्हें इंटर में एकल विषय हिंदी की परीक्षा पास करनी होगी. ऐसे छात्र बीएससी गणित, बीएससी कंप्यूटर साइंस, बीटेक इलेक्ट्रानिक्स, बीटेक कंप्यूटर साइंस, बीसीए जैसे पाठ्यक्रमों में इसी साल से प्रवेश ले सकते हैं.

इन कोर्स पर काउंसिल की मुहर

एमएससी जूलोजी, एमए संस्कृत सीबीसीएस ओपन इलेक्टिव, डिप्लोमा इन कर्मकांड, डिप्लोमा इन ज्योतिष, पीजी डिप्लोमा योग साइंस, एमए संस्कृत रेगुलर और प्राइवेट, एमए साइकोलॉजी, एमए भूगोल, एमएससी बायोटेक्नोलॉजी, बैचलर ऑफ साइंस ऑनर्स इन कंप्यूटर, बीए हिंदी ऑनर्स, बीबीए और एमबीए सेल्फ फाइनेंस, बीएससी ऑनर्स केमिस्ट्री, पॉलीमर साइंस, बीबीए, एमबीए आदि पाठ्यक्रमों पर एकेडमिक काउंसिल ने मुहर लगा दी. कई पाठ्यक्रमों में इस साल से प्रवेश भी शुरू है.

ऐसी दशा में शोध निरस्त

विवि स्तर पर शोध की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान है. इसमें अभी तक अगर शोध ग्रंथ का मूल्यांकन करते समय एक परीक्षक ने स्वीकार कर लिया. दूसरे परीक्षक ने फिर से संशोधित करने के लिए आख्या दी है. तीसरे परीक्षक ने शोध ग्रंथ को निरस्त करने की संस्तुति की है तो ऐसी दशा में शोध ग्रंथ को निरस्त कर दिया जाता है. इसे लेकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया है कि यदि तीन परीक्षक शोध ग्रंथ को स्वीकारते हैं या दो परीक्षक स्वीकार करते हैं और तीसरा निरस्त कर देता है तो चौथे परीक्षक को शोध ग्रंथ भेजी जायेगी. उस पर निर्णय लिया जायेगा.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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