चक्रवात ‘निसर्ग’ को देखकर मुंबई के लोगों को याद आया 1948 का तूफान

चक्रवात ‘निसर्ग' से उत्पन्न खतरे के बीच कई वरिष्ठ नागरिकों ने 1948 में मुंबई में आये तूफान से हुई तबाही को याद किया है. तूफान ‘निसर्ग' ने बुधवार को अलीबाग के पास तट से टकराने के साथ भारी तबाही शुरू कर दी है. निसर्ग 120 की रफ्तार से तट से टकराया.

By Agency | June 3, 2020 5:42 PM

मुंबई : चक्रवात ‘निसर्ग’ से उत्पन्न खतरे के बीच कई वरिष्ठ नागरिकों ने 1948 में मुंबई में आये तूफान से हुई तबाही को याद किया है. तूफान ‘निसर्ग’ ने बुधवार को अलीबाग के पास तट से टकराने के साथ भारी तबाही शुरू कर दी है. निसर्ग 120 की रफ्तार से तट से टकराया. तूफान के तट से टकराने के साथ ही महाराष्‍ट्र में तेज आंधी-तूफान के साथ भारी बारिश शुरू हो गयी. आंधी-तूफान से घरों के छत उड़ गये और सड़कों पर बड़े-बड़े पेड़ उखड़कर गिर गये.

इधर बुजुर्गों ने कहा कि 1948 में आए तूफान से व्यापक तबाही हुई थी. उस समय भीषण बारिश हुई थी और तेज हवाओं से जगह-जगह पेड़ उखड़ गए थे. वर्तमान में पुणे में रह रहीं सुचेता नादकर्णी (81) उस समय मुंबई के विले पार्ले उपनगर में रहती थीं. उन्होंने कहा, मुझे याद है कि हमारे इलाके में बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए थे और हमारे बगीचे में लगे पौधे नष्ट हो गए थे.

Also Read: Cyclone Nisarga Live Updates, Video, Photos : मुंबई तट से टकराते ही तूफान ‘निसर्ग’ का तांडव शुरू, एयरपोर्ट बंद, तेज हवाओं से छतें उड़ीं, कई पेड़ गिरे

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, उस समय मैं 10 साल की थी. मुझे यह बात इसलिए याद है क्योंकि मेरी मां अपने द्वारा लगाए गए पौधों के नष्ट हो जाने से बहुत दुखी हुई थीं. इस संबंध में एक अन्य वरिष्ठ नागरिक ने कहा, मुंबई (तत्कालीन बंबई) उस साल 22 नवंबर को भीषण तूफान के बाद पूरी तरह चरमरा गई थी. इसका कहर 20 घंटे तक जारी रहा था. शहर के अनेक हिस्सों में भीषण बारिश की वजह से बाढ़ आ गई थी.

अगले दिन 23 नवंबर 1948 के टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर का शीर्षक था, चक्रवात से बंबई चरमराई. अखबार ने लिखा था कि 21 नवंबर को सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तूफान आया. इसने अपनी खबर में लिखा था कि शहर में बिजली नहीं है.

आकाशवाणी का बंबई स्टेशन प्रभावित हुआ है, टेलीग्राफिक संचार पर असर पड़ा है और परिवहन व्यवस्था भी बाधित हुई है. खबर में कहा गया था कि एक ही दिन में सात लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए. जन हानि मकानों के गिरने की वजह से हुई और पेड़ों के उखड़ जाने से सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं. समुद्र में खड़ी नौकाएं या तो डूब गई हैं या नष्ट हो गई हैं.

Posted By : arbind kumar mishra

Next Article

Exit mobile version