Seraikela Kharsawan News : विद्युत चाक से बढ़ेगी कुम्हारों की आमदनी

सरायकेला. माटीकला से जुड़े 20 लाभुकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर दिये गये चाक

By ATUL PATHAK | August 12, 2025 11:17 PM

सरायकेला. माटीकला से जुड़े कुम्हारों को अब हाथ से चाक घुमाकर मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान नहीं बनाना पड़ेगा. अब वे बिजली से संचालित चाक के जरिये माटी के उत्पाद तैयार कर सकेंगे. उद्योग विभाग और माटीकला बोर्ड की योजना के तहत, माटी शिल्प के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए जिले के 20 लाभुकों को प्रथम चरण में 90 प्रतिशत अनुदान पर विद्युत चाक वितरित किये गये. डीसी नितिश कुमार सिंह ने अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित सादे कार्यक्रम में लाभुकों को चाक सौंपे. इस दौरान नीमडीह प्रखंड के झिमड़ी पंचायत की श्रीमती पूनम देवी को भी विद्युत चाक दिया गया. डीसी ने कहा कि माटी शिल्प हमारे पारंपरिक हस्तशिल्प और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है. विद्युत चाक के उपयोग से उत्पादन क्षमता और उत्पाद की गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होगी, जिससे शिल्पकारों की आय बढ़ेगी. उन्होंने लाभुकों से निष्ठा और लगन से कार्य करने के साथ-साथ अन्य इच्छुक व्यक्तियों को भी सरकारी योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया. कार्यक्रम में महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र चाईबासा रवि शंकर प्रसाद, सरायकेला के रोहित कुमार आदि मौजूद थे.

अंधविश्वास पर रोक को माझी परगना में सुधार जरूरी

आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों ने केंद्रीय संयोजक सोनाराम सोरेन के नेतृत्व में मंगलवार को डीसी नितिश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से अभियान ने क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी स्वशासन के नाम पर चल रहे माझी परगना व्यवस्था में संवैधानिक सुधार करते हुए इसे लोकतांत्रिक करने की मांग की है. कहा कि माझी परगना व्यवस्था वंशवाद प्रथा पर संचालित हो रहा है. अधिकतर माझी परगना के अगुआ अनपढ़ और छोटी मानसिकता वाले हैं. जिससे आदिवासी बहुल गांव में आज भी अंधविश्वास और डायन-बिसाही की प्रथा को बल मिल रहा है. कहा कि समाज में फैली अंधविश्वास की जड़ से हटाने के लिए माझी परगना व्यवस्था को लोकतांत्रिक करना आवश्यक है. ताकि शिक्षित और समझदार व्यक्ति को ही समाज की अगुवाई करने का अवसर प्राप्त हो. इससे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आधुनिकता का संचार होगा और समाज के लोग देश और दुनिया के साथ कदम मिलाकर चल सकेंगे. ज्ञापन देने वालों में सेंगेल अभियान के झारखंड पोनोत परगना जूनियर मुर्मू, श्रीमती हेंब्रम, सांखो टुडू, अंपा हेंब्रम, हड़िया टुडू, बागुन टुडू आदि शामिल थे.

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