पारंपरिक वेशभूषा में कलश लेकर निकलीं 1001 महिलाएं व बच्चियां

भारतीय कला मंदिर सकरोगढ़ चैती दुर्गा पूजा समिति की ओर से निकली कलश शोभा यात्रा

By ABDHESH SINGH | March 29, 2025 8:23 PM

साहिबगंज. भारतीय कला मंदिर सकरोगढ़ चैती दुर्गा पूजा समिति की ओर से शनिवार को सुबह आठ बजे भव्य कलश यात्रा मंदिर प्रांगण से संरक्षक ओम जायसवाल व अध्यक्ष सुनील झा के नेतृत्व में निकाली गयी. 1001 महिलाएं व बच्चियां पारंपरिक वेशभूषा में कलश लेकर निकलीं. ढोल-नगाड़ा, गाजे-बाजे के साथ पूर्वी फाटक, पुरानी साहिबगंज, कमल टोला होते हुए मुक्तेश्वरधाम बिजली सीढ़ी गंगा घाट तट पर विधिवत रूप से पूजन करके जल भरकर कलश यात्रा बड़तल्ला स्ट्रीट, कृष्ण नगर बड़ी दुर्गा मंदिर, कॉलेज रोड होते हुए सकरूगढ़ चैती दुर्गा मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई.जगह-जगह पुष्प वर्षा करके स्वागत किया गया. शोभा यात्रा में नप की ओर से पानी का छिड़काव किया गया. रैली में सचिव विजय सिंह, हेमंत तांती, कुणाल चौधरी, देवब्रत सिंह, मुन्ना तांती, पंडित प्रमोद झा, विजय कुमार, संजय जायसवाल, प्रशांत शेखर सहित दर्जनों सदस्य व महिलाएं शामिल थीं. जबकि नगर थाना प्रभारी अमित गुप्ता के नेतृत्व में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद थी. रविवार को चैती नवरात्र के साथ मां दुर्गा, प्रभु श्रीराम, बजरंगबली की पूजा-आराधना करके नववर्ष की शुरुआत होगी. सभी अपने घरों में भगवा ध्वज लगाकर नववर्ष आगमन की खुशी मना रहे हैं. वहीं मां दुर्गा के भजन से पूरा शहर भक्तिमय हो गया है. माता का आगमन हाथी पर, प्रस्थान भी हाथी पर होगा : पंकज होली के बाद वासंतिक चैत्र नवरात्र, चैती छठ और रामनवमी पर्व की तैयारी में श्रद्धालु लग चुके हैं. चैती नवरात्र इस बार 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू हो जाएगा. आचार्य पंडित पंकज पांडेय ने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्र पर रेवती नक्षत्र और ऐंद्र योग का संयोग बन रहा है. रविवार को नवरात्रि होने के कारण मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है. इस वर्ष नवरात्रि नौ दिन की जगह आठ दिनों का है. छह अप्रैल को अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ है. रविवार होने के कारण इस वर्ष मां की विदाई भी हाथी पर ही हो रही है. हाथी पर आगमन और विदाई भी बेहद शुभ माना जाता है. यह उन्नति, आर्थिक प्रगति और सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी का प्रतीक माना गया है. सुबह से ही कलश स्थापना का मुहूर्त : इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से लेकर 10:22 बजे तक रहेगा. जबकि पूजा के लिए अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:20 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा. वहीं 6 अप्रैल को महानवमी व्रत श्रद्धालु पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र में मनाएंगे. इस दिन सुबह 9:40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके बाद पुष्य नक्षत्र रहेगा. वहीं विजयादशमी 7 अप्रैल को मनायी जाएगी. एक अप्रैल से चैती छठ शुरू : लोक आस्था के महापर्व ग्रीष्मकालीन चार दिवसीय चैती छठ पूजा की शुरुआत 1 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ होगी. इस दिन व्रती चैती छठ का संकल्प लेंगे. अगले दिन 2 अप्रैल को खरना के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर 36 घंटे का निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगे. इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य 3 अप्रैल को देंगे और चौथे दिन 4 अप्रैल को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस कठिन व्रत का समापन होगा.

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