रांची में आदिवासियों ने दिखाया दम, ‘आक्रोश महारैली’ में बोले- कुड़मी को ST का दर्जा मिला तो…

Ranchi Adivasi Rally: झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को हजारों आदिवासी लोगों ने कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की संभावना के विरोध में आक्रोश महारैली निकाली. मोरहाबादी मैदान से शुरू हुई इस रैली में आदिवासी नेताओं ने सरकार को चेताया कि कुड़मी को एसटी दर्जा देने की कोशिश हुई तो झारखंड में बड़ा आंदोलन होगा.

By Sameer Oraon | October 12, 2025 9:31 PM

Ranchi Adivasi Rally: झारखंड की राजधानी रांची में रविवार को विभिन्न आदिवासी समूहों ने कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिये जाने की संभावना के विरोध में ‘आक्रोश महारैली’ निकाली.

मोरहाबादी मैदान से निकली रैली

मोरहाबादी मैदान से शुरू हुई आदिवासी समुदाय की इस रैली में राज्य के विभिन्न जिलों से जनजातीय नेता, युवा और महिलाएं शामिल हुए. रैली में शामिल लोगों ने चेतावनी दी कि अगर कुड़मी समुदाय को एसटी का दर्जा दिया गया और देने के लिए कोई भी कदम उठाया गया तो उनका विरोध और तेज होगा. रैली का समापन रामदयाल मुंडा फुटबॉल मैदान (रांची कॉलेज के पास) में आयोजित जनसभा के साथ हुआ.

Also Read: रांची में युवती से दुष्कर्म के मामले में 4 गिरफ्तार, दो नाबालिग हिरासत में, पीड़िता ने भाई पर लगाया आरोप

आदिवासी नेताओं ने दी सरकार को सख्त चेतावनी

आदिवासी नेता कुमुदिनी धान ने कहा कि यह प्रदर्शन झारखंड की सभी 32 जनजातियों द्वारा आदिवासी शक्ति का प्रतीक है. उन्होंने चेताया, “अगर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया, तो झारखंड में बड़ा आंदोलन होगा.” वहीं, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा, “हम किसी को भी आदिवासियों के अधिकारों को छीनने नहीं देंगे. झारखंड के सभी आदिवासी एकजुट हैं और अपने संवैधानिक अधिकारों, राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आरक्षण और भूमि अधिकारों के लिए सतर्क हैं.” एक अन्य आदिवासी नेता ग्लैडसन डुंगडुंग ने इसे आदिवासी अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई बताया.

कुड़मी समाज के लोगों ने 20 सितंबर को दिया था धरना

आदिवासी कुड़मी समाज के बैनर तले 20 सितंबर को हजारों प्रदर्शनकारियों ने झारखंड के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर धरना दिया था. उनका उद्देश्य कुड़मी समुदाय को एसटी दर्जा दिलाना और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाना था. इस आंदोलन के दौरान 100 से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गईं थी. साथ ही कई के रूट या बदल दिया गया था या फिर समय से पहले रोक दी गईं. उसी दिन आदिवासी समुदाय के लोगों ने कुड़मी समाज के रेल रोको अभियान का विरोध किया था.

Also Read: रामगढ़ के मांडू में जंगली बंदर का कहर, 20 लोग घायल, महिलाओं में दहशत