कोरोना के बाद 40 फीसदी क्यों बढ़े दिल के मरीज? बता रहे हैं रिम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रशांत कुमार

कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद से दिल के रोगियों में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसकी क्या वजह है, दिल के रोग से कैसे बचें, बता रहे हैं रिम्स के डॉ प्रशांत कुमार

By Mithilesh Jha | April 29, 2024 6:03 PM

झारखंड समेत पूरे देश में दिल के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. खासकर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद दिल के रोगियों की संख्या भी बढ़ी है और कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के केस भी बढ़े हैं.

दिल के रोगी क्यों बढ़ रहे?

झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के हृदय रोग विशेषज्ञ और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रशांत कुमार कहते हैं कि कोरोना के बाद दिल के रोगियों में 40 फीसदी वृद्धि हुई है. कोरोना वायरस के चलते ब्लड वेसल के इंडोथेरियम में सूजन हो जाता है और उसकी वजह से वहां कोलेस्ट्रॉल और प्लेटलेट का जमाव होने लगता है. इसकी वजह से क्लॉटिंग की संभावना बढ़ जाती है और लोगों को हार्ट अटैक आ जाता है.

इन वजहों से बढ़ रहे हैं दिल के रोगी

डॉ प्रशांत ने कहा कि खराब खान-पान, मोटापा, धूम्रपान और व्यायाम नहीं करने की वजह से भी लोगों को दिल की बीमारी हो रही है. इसकी वजह से ब्लड वेसेल के इंडोथेरियम में कॉलेस्ट्रोल जमा होने लगता है, जिसकी वजह से उसकी मोटाई कम हो जाती है और मांसपेशियों में खून की सप्लाई कम हो जाती है. नतीजा यह होता है कि व्यक्ति में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.

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वायरस के कारण शरीर में आए बदलाव ने बढ़ाई समस्या

रिम्स के एसोसिएट प्रोफेसर ने कहा कि हार्ट अटैक की एक और वजह यह है कि वायरस के कारण शरीर में जो बदलाव होते हैं, उसकी वजह से हार्ट के मशल्स में सूजन आ जाता है. यह सीधे तौर पर हार्ट के मशल्स को कमजोर कर देते हैं, जिससे दिल का आकार बढ़ जाता है. साथ ही हार्ट की पंपिंग भी कम हो जाती है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.

अचानक क्यों आते हैं हार्ट अटैक?

डॉ प्रशांत कुमार कहते हैं कि हार्ट डिजीज कई प्रकार के होते हैं. कंजिनाइटल हार्ट डिजीज और जेनेटिक हार्ट डिजीज या कार्डियो मेपेथीज. कार्डियो मेपेथीज में हार्ट की मांसपेशियों में कुछ ऐसी गड़बड़ी होती है, जिसकी वजह से दिल की मांसपेशियों की मोटाई बढ़ जाती है. ऐसे लोग अगर बहुत ज्यादा शारीरिक परिश्रम जैसे एक्सरसाइज आदि कर लेते हैं, तो दिल की मांसपेशियों में ऐसा कुछ हो जाता है, जिसकी वजह से लोगों की जान चली जाती है. उन्होंने कहा कि खास बात यह है कि लोगों को इसकी जानकारी होती नहीं है. फलस्वरूप उन्हें कार्डियक स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट हो जाता है.

बीमारियां, जो हमें हृदय रोग की ओर ले जाता है?

डॉ प्रशांत कहते हैं कि दिल की बीमारी किसी एक कारण से नहीं होती. इसके कई कारण होते हैं. कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर हैं, जिसको हम ठीक कर सकते हैं. जेनेटिक हार्ट डिजीज को हम रोक नहीं सकते. उन्होंने कहा कि अगर आपको दिल के रोगों से बचना है, तो आपको डायबिटीज को कंट्रोल करना होगा, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना होगा. कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना होगा. और सबसे बड़ी बात यह कि धूम्रपान से दूर रहना होगा.

कुछ लोगों में जन्मजात होती है दिल की बीमारी

उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनको जन्मजात दिल की बीमारी होती है. कई बच्चों के दिल में छेद होता है. ऐसे बच्चों की पहचान बहुत आसान है. अगर ऐसे बच्चे बहुत रोते हैं और उनका शरीर नीला पड़ जाए, तो समझ लीजिए कि उस बच्चे में दिल की बीमारी है. उसे सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत ज्यादा सर्दी-खांसी होती है. ऐसे भी बच्चे हैं, जिनका शरीर नीला नहीं पड़ता. लेकिन, ऐसे बच्चों को दूध पीते समय माथे से काफी पसीना आता है.

दिल की बीमारी के लक्षण

  • सीने में दर्द होना
  • सीने का भारीपन
  • धड़कन का बढ़ना
  • सांस फूलने की समस्या
  • अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.

दिल के रोगों की पहचान के लिए कराएं ये जांच

  • ईसीजी : इस जांच से दिल की धड़कन रेगुलर है या नहीं इसका पता चल जाता है. चैंबर का डायलिटिशन कैसा है, कोई बड़ा हार्ट अटैक पहले हुआ है या नहीं, इसका पता चल जाता है.
  • इको कार्डियोग्राफी : इस जांच से हार्ट के स्ट्रक्चर का पता चलता है. हार्ट की मांसपेशियों का पावर कितना है, कोई हार्ट अटैक पहले हुआ होता है, तो उसका भी इससे पता चल जाता है.
  • प्रोपोलीन ट्री टेस्ट : यह टेस्ट 6 घंटे से पॉजिटिव होने लगता है. यह 10 से 14 दिन तक पॉजिटिव रहता है. इससे पता चलता है कि मशल्स में कोई इंज्यूरी हुई है या नहीं.
  • टीएमटी : ऊपर के तीनों टेस्ट नॉर्मल रहे, तो डॉक्टर ट्रेडमिल टेस्ट करवाते हैं.
  • कोरोनरी एंजियोग्राफी : अगर ईसीजी, इको कार्डियोग्राफी, प्रोपोलीन ट्री टेस्ट और टीएमटी में भी कुछ गड़बड़ी नहीं मिलती है, तो कोरोनरी एंजियोग्राफी की सलाह दी जाती है. इसमें भी कोई समस्या नहीं दिखती, तो मरीज को समय-समय पर हृदय रोग विशेषज्ञ से अपनी नियमित जांच कराते रहने की सलाह दी जाती है.

दिल की बीमारी से बचने के लिए कैसा हो लाइफस्टाइल?

1) हर दिन अपने लिए 40 मिनट निकालें, पैदल चलें.
2) धूम्रपान की लत है, तो उसे तत्काल छोड़ दें.
3) फैटी डाइट और फास्ट फूड से परहेज करें.
4) रेगुलर एक्सरसाइज के साथ-साथ योग करें.
5) ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें.

दिल के रोगियों के लिए गोल्डेन आवर क्या है?

ग्रामीण इलाके में किसी को सीने में दर्द उठे, तो उसे तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाना चाहिए. ईसीजी करवाना चाहिए. अगर ईसीजी में हार्ट अटैक का पता चल जाता है, तो इसके बाद के 12 घंटे तक के समय को गोल्डेन आवर कहते हैं. इस दौरान मरीज का इलाज करके उसे बचाया जा सकता है.

दिल को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?

1) डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं
2) ब्लड प्रेशर का दवा रेगुलर लें
3) कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच करवाएं
4) अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे अभी छोड़ दें
5) दिल की बीमारियों को हम रोक सकते हैं.

हृदय रोग की चुनौतियां क्या हैं?

डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि पिछले दो दशकों में लोगों में जागरूकता बढ़ी है. 40 से अधिक उम्र के लोग समय-समय पर अपनी जांच करवाते हैं, जिससे लोगों को अपनी परेशानियों के बारे में पता चल जाता है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी बहुत ज्यादा जागरूक नहीं हैं. अगर किसी को सीने में दर्द होता है, तो वह उसे गैस का दर्द समझकर इग्नोर कर देता है. खासकर महिलाएं. सीने में दर्द या घुटन महसूस होने पर गैस की दर्द की दवा लेकर उसे दबा देतीं हैं. ऐसे लोग अस्पताल तब पहुंचते हैं, जब उनकी बीमारी गंभीर हो चुकी होती है. हालांकि, अब लोग जागरूक हुए हैं. अब 40 फीसदी लोग दिल की बीमारी का इलाज कराने के लिए समय पर अस्पताल आ जाते हैं.

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