जानें सीएनटी-एसपीटी एक्ट में क्या है संशोधन

रांची : झारखंड सरकार ने संताल परगना काश्तकारी अधिनियम-1949 तथा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 में संशोधन किया है. दोनों के लिए अलग-अलग विधेयक को सदन ने मंजूरी दे दी.... सीएनटी एक्ट में हुआ संशोधन सीएनटी की धारा-21, धारा-49 (1), धारा 49 (2) व धारा-71 (ए) में संशोधन किया गया है. धारा-21 में गैर कृषि उपयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2016 7:55 AM

रांची : झारखंड सरकार ने संताल परगना काश्तकारी अधिनियम-1949 तथा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 में संशोधन किया है. दोनों के लिए अलग-अलग विधेयक को सदन ने मंजूरी दे दी.

सीएनटी एक्ट में हुआ संशोधन

सीएनटी की धारा-21, धारा-49 (1), धारा 49 (2) व धारा-71 (ए) में संशोधन किया गया है. धारा-21 में गैर कृषि उपयोग को विनियमित करने की शक्ति दी गयी है. इसमें जिक्र किया गया है कि सरकार समय-समय पर ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में भूमि के गैर कृषि उपयोग को विनियमित करने के लिए नियम बनायेगी तथा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर ऐसे उपयोगों को अधिसूचित किया जायेगा. राज्य सरकार गैर कृषि लगान अधिरोपित कर सकेगी. नगर पालिका सीमा के भीतर व बाहर स्थित अपनी भूमि के कृषि उपयोग से संबंद्ध गैर कृषि कार्यों के लिए काश्तकारों द्वारा कोई गैर कृषि लगान भुगतान नहीं करना होगा. परंतु, कृषि से गैर कृषि उद्देश्यों के लिए परिवर्तित भूमि पर रैयतों का स्वामित्व (मालिकाना हक) पूर्व की भांति बना रहेगा.

धारा 49 (1) में कहा गया है कि कोई भी जोत या जमीन मालिक सरकारी प्रयोजन हेतु सामाजिक, विकासोन्मुखी एवं जन कल्याणकारी आधारभूत संरचाओं के लिए अधिसूचित की जानेवाली परियोजनाओं के लिए जमीन हस्तांतरित कर सकेंगे. हस्तांतरित जमीन का मूल्य वर्तमान भू-अर्जन अधिनियम के अंतर्गत तय भूमि के मूल्य से कम नहीं होगा. जोत सड़क, केनाल, रेलवे, केबुल, ट्रांसमिशन, वाटर पाइप्स एवं जनपयोगी सेवा, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पंचायत भवन, अस्पताल व आंगनबाड़ी के लिए जमीन दे सकेंगे.

49 (2) में प्रावधान किया गया है कि जिस प्रयोजनार्थ जमीन का हस्तांतरण हुआ है, उससे भिन्न उपयोग नहीं हो सकेगा. जिस प्रयोजनार्थ भूमि हस्तांतरित की गयी है, यदि उसके लिए पांच साल तक उपयोग नहीं होगा, तो वह मूल रैयत या उसके विधिक उतराधिकारी को वापस हो जायेगी. इसके लिए पूर्व में हस्तांतरण संबंधी दी गयी राशि भी वापस नहीं होगी.

सीएनटी एक्ट की धारा-71 (ए) की उप धारा-2 को समाप्त करने का फैसला किया गया है. अध्यादेश प्रारूप में भी इसे समाप्त करने का प्रावधान किया गया था. इस उप धारा के समाप्त होने से आदिवासियों की जमीन मुआवजा के आधार पर किसी को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी.

एसपीटी एक्ट में संशोधन

एसपीटी की धारा-13 में संशोधन किया गया है. इसके स्थान पर धारा 13 (क) स्थापित किया गया है. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार समय-समय पर ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों में भूमि के गैर कृषि उपयोग को विनियमित करने के लिए नियम बनायेगी. राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर ऐसे उपयोगों को अधिसूचित किया जायेगा. राज्य सरकार गैर कृषि लगान लगायेगी. इसकी मानक दर भूमि के बाजार मूल्य के एक प्रतिशत से अधिक नहीं होगी. मानक दर अधिसूचना की तिथि से पांच साल के लिए मान्य होगी. नगरपालिका सीमा के भीतर व बाहर स्थित अपनी भूमि के कृषि उपयोग से संबद्ध गैर कृषि क्रियाकलापों के लिए काश्तकार द्वारा कोई लगान भुगतान नहीं होगा. वैसी भूमि पर गैर कृषि लगान लगाया जायेगा, जिसका उपयोग नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्रों के भीतर या बाहर गैर कृषि प्रयोजन के लिए किया जाता है. परंतु, कृषि से गैर कृषि उद्देश्यों के लिए परिवर्तित भूमि पर रैयतों का स्वामित्व (मालिकाना हक) पूर्व की भांति बना रहेगा.