फैसले की आलोचना हो सकती है, पर प्रतिष्ठा पर आघात नहीं पहुंचा सकते हैं : हाइकाेर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को राजभवन के समक्ष हाइकोर्ट का पुतला जलाये जाने काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज आपराधिक अवमानना मामले की सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस एचसी मिश्र की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि आप किसी फैसले की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन संस्थान की प्रतिष्ठा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 4, 2019 12:55 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को राजभवन के समक्ष हाइकोर्ट का पुतला जलाये जाने काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज आपराधिक अवमानना मामले की सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस एचसी मिश्र की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि आप किसी फैसले की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन संस्थान की प्रतिष्ठा पर आघात नहीं पहुंचा सकते. मामले में बिना शर्त माफी मांगना ही काफी नहीं है.

खंडपीठ ने मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता प्रशांत पल्लव को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. साथ ही अगली सुनवाई के लिए 21 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी पूर्व सांसद सालखन मुर्मू आैर अन्य की अोर से वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश झा ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि प्रतिवादियों ने बिना शर्त माफी मांग ली है.
उल्लेखनीय है कि हाइकोर्ट ने राजभवन के समक्ष हाइकोर्ट का पुतला जलाने काे गंभीरता से लेते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू व अन्य के खिलाफ आपराधिक अवमानना की प्रक्रिया शुरू की थी.

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