..कैप्टिव, कॉमर्शियल और रेवेन्यू शेयरिंग माइंस आवंटित करने से निजीकरण को बढ़ावा : रमेंद्र कुमार
एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण कोयला उद्योग निजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गयी है.
फोटो फाइल 8आर-7- एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार जानकारी देते :- सीसीएल के उत्पादन लक्ष्य में कमी के कई कारण सलाउद्दीन रामगढ़. एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण कोयला उद्योग निजीकरण प्रक्रिया शुरू हो गयी है. कैप्टिव, कॉमर्शियल और रेवेन्यू शेयरिंग माइंस आवंटित करने से निजीकरण में तेजी आयी है. इस वित्तीय वर्ष में सीसीएल उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं कर पायेगा. नवंबर माह 2025 तक तय लक्ष्य का लगभग 67 प्रतिशत उत्पादन हो पाया है. उत्पादन में पिछड़ने के कई कारण हैं. सीसीएल अधिकारियों का कोलियरी में पदस्थापन अवधि में कार्य योजना में बड़ी विसंगतियां हैं. जमीन अधिग्रहण, वनभूमि की स्वीकृति, विधि-व्यवस्था शामिल हैं. मगध और अम्रपाली तीन-चार एरिया में आउटसोर्सिंग ठेकेदार बहाली में विलंब के कारण उत्पादन पर असर पड़ा है. अम्रपाली में पिछले साल की तुलना आठ माह में उत्पादन में आठ मिलियन टन की कमी आयी है. इस क्षेत्र में काेयला उत्खनन और परिवहन करने के कार्य में रूकावट का असर सीसीएल के उत्पादन लक्ष्य पर पड़ा है. आम्रपाली में एएमपीएल महालक्ष्मी, गोदावरी कोमोडिटीज लिमिटेट और दूसरे कंपनी के विवाद का असर उत्पादन पर पड़ा है. कई महीनों तक उत्पादन कार्य बाधित रहा. एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमवार को रिवर साइड स्थित कार्यालय में प्रभात खबर से बातचीत में कोल खनन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और युनौतियों की जानकारी दी. रमेंद्र कुमार कहा कि 1971- 72 काेयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण का दौर था. वर्तमान समय काेयला उद्योग में निजिकरण प्रक्रिया शुरू हो गयी है. सीआइएल के अस्तित्व पर खतरा हो गया है. भारत सरकार का निर्णय कोई भी नया काेयला खादान खुलेगा वह एसडीओ मोड में संचालित होगा. इसी के तहत चंद्रगुप्त कोलियरी केरेडारी और कोतरे, बसंतपुर कोलियरी सीसीएल का है. दोनों कोलियरी एमडीओ मोड में संचालित हो रहा है. सरकार की नयी नीति के अनुसार जो पुराना कोलियरी है. वह आउटसोर्सिंग ठेकेदार के द्वारा संचालित किया जा रहा है. यह कोयला उद्योग का निजीकरण की ओर बढ़ता उदाहरण है. सीएमपीडीआइ में 18 निजी कंपनी को कार्य आवंटित रमेंद्र कुमार ने बताया कि सीएमपीडीआइ का मुख्य कार्यालय रांची में है. कोयला खनन क्षेत्र में सर्वेक्षण और प्लानिंग का कार्य इस संस्थान को करना है. सीआइएल के अधीन सभी आठ कंपनी बीसीसीएल, सीसीएल डब्लयूसीएल, इसीएल, एनसीएल, एमसीएल, इसइसीएल में सीएमपीडीआइ के कर्मी कार्य करते थे. लेकिन वर्तमान समय में 18 निजी कंपनियों को काेयला खनन क्षेत्र में सर्वेक्षण और प्लानिंग कार्य के लिये लाइसेंस दिया गया है. राष्ट्रीयकरण से निजीकरण की ओर सीएमपीडीआइ को भी ले जाया जा रहा है. रेवेन्यू शेयरिंग के तहत सीसीएल खदान आवंटित रमेंद्र कमार ने बताया कि केंद्र सरकार की नीति के तहत सीआइएल के जो कोयला खादान बंद पड़े हैं. वैसे सभी खादानों को संचालित करने के लिये आवंटित किया जायेगा. काेयला उत्पादन रेवेन्यू का न्यूनतम चार प्रतिशत राशि सीआइएल लेगी. टेंडर में अधिकतम राशि रेवेन्यू का प्राइवेट कंपनियां एकरार करके काम ले सकती हैं. इसी के तहत सीसीएल ने रामगढ़ जिले में खास कर्णपुरा कोलियरी और सौंदा डी कोलियरी प्राइवेट कंपनी को चलाने के लिये दे दिया. लेकिन उस पुराने कोलियरी क्षेत्र में सौंदा डी में लगभग 25 सौ क्वार्टर और खास कर्णपुरा कोलियरी क्षेत्र में पांच सौ क्वार्टर है. कोयला उत्पादन से पहले इन सभी क्वार्टर को हटाना होगा. इसके साथ ही कोयला उत्पादन शुरू करने से पहले भूमि अतिक्रमण और अन्य तकनीकी परेशानियों को भी निजी कपंनी को ही समाधान करना है. ऐसे में लोक कल्याणकारी प्रावधान के तहत सीसीएल कर्मियों को प्राइवेट कंपनियों से कुछ हासिल नहीं होन वाला है. सीसीएल ने रेवन्यू राशि शेयरिंग के तहत बंद खदान आवंटित कर दिया हे. लेकिन शुरू नहीं हो पा रहा है. क्षेत्र में विधि-व्यवस्था दिनों-दिन खराब हो रहा है. कैप्टिव और कॉमर्शियल माइनिंग से सीआइएल को नुकसान रमेंद्र कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की नीति कॉमर्शियल माइनिंग का असर सीआइएल के कंपनियों पर दिखने लगा है. देश में सौ अधिक कोयला खदान कॉमर्शियल माइनिंग के तहत निजी कंपनियों को आवंटित किया गया है. निजी कपंनियां कोयला निकालने और बेचने के लिये पूरी तरह से स्वतंत्र हैं. कोल इंडिया के कंपनियों को कोयला बेचने के लिये दर निर्धारित है, लेकिन कॉमर्शियल माईनिंग कर रहे कंपनियां अपने अनुसार किसी भी दर पर काेयला बेच सकते हैं. बंगाल में इसीएल के कोयला खादानों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है. कोयला उत्पादन के बाद इसीएल का कोयला खरीदार की कमी हो गयी है.
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