उत्तम संयम धर्म का पालन करने से जीवन में आती है सकारात्मकता

पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व का छठा दिन

By DEEPAK | September 2, 2025 9:20 PM

पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व का छठा दिन

प्रतिनिधि, मेदिनीनगर

दश लक्षण पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के छठे दिन सोमवार को उत्तम संयम धर्म का विधान हुआ. जैन मंदिर में विधि विधान से उत्तम संयम धर्म का धूप दशमी पर्व मनाया गया. जैन समाज के लोगों ने पूरे उत्साह व धार्मिक उल्लास के साथ हिस्सा लिया. प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी अन्नू भैया ने उत्तम संयम धर्म की विस्तृत व्याख्या किया. उन्होंने कहा कि जैन धर्म के दश लक्षण धर्मों में से यह एक है. इंद्रियों व मन पर नियंत्रण रखना और विषयों के प्रति आसक्ति को कम करना इस धर्म का मूल अर्थ है. इस धर्म का पालन करने से आत्मा को शांति और आत्म-नियंत्रण प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि इस धर्म का उद्देश्य आत्मतत्व के शाश्वत सत्य स्वरूप को पहचानना और आध्यात्मिक प्रगति करना है. मन व इंद्रियों पर नियंत्रण रखने से पंचेंद्रिय जीवों की रक्षा होती है, क्योंकि आसक्ति कम होने से दूसरों को दुख पहुंचाने की प्रवृत्ति घट जाती है. मन, वचन और कर्म से की जाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण रखना ही उत्तम संयम है. उन्होंने कहा कि इस धर्म का पालन करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और यह आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा में सहायक होती है. उत्तम संयम धर्म व्यक्ति को बाहरी दुनिया की चंचलता व इंद्रिय-सुखों से ऊपर उठकर अपनी आत्मा के आंतरिक स्वरूप को समझने और उस पर विजय प्राप्त करने में मदद करता है. सुबह में सुभाषचंद्र रारा सपरिवार ने सौधर्म इंद्र और किशोर रारा, टनकेश रारा, अमित रारा परिवार सहित श्रावक श्रेष्ठी के रूप में प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा किया. दोपहर में कर्मों के क्षय के लिए 24 तीर्थंकरों के समक्ष धूप अर्पित कर धूप दशमी का पर्व मनाया गया. सुगंध दशमी के दिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा और जीवन में सुख शांति व समृद्धि की कामना किया. मौके पर श्वेता छाबड़ा, राज रारा, मेहुल पहाड़िया, पंकज पाटनी, अनिल काला सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

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