नेसार खान ने बत्तख पालन से बदली किस्मत
सिंजो गांव निवासी नेसार खान ने बत्तख व मुर्गी पालन के जरिए स्वरोजगार की राह अपनाकर न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया.
कैरो. प्रखण्ड क्षेत्र के सिंजो गांव निवासी नेसार खान ने बत्तख व मुर्गी पालन के जरिए स्वरोजगार की राह अपनाकर न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि आज वे इलाके के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गये हैं. वर्ष 2002 में महज 500 चूजों से शुरू हुआ, उनका यह सफर अब 5000 चूजों तक पहुंच चुका है. नेसार खान ने बताया कि शुरुआत में पूंजी की कमी के चलते कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. दोस्तों और जान-पहचान वालों से पूंजी जुटाकर उन्होंने अपना कारोबार आगे बढ़ाया. धीरे-धीरे मेहनत रंग लायी और आज वे रोजाना 400 से 500 बत्तख स्थानीय बाजारों में बेचते हैं. इसके अलावा रांची, गुमला, सिमडेगा, लातेहार जैसे जिलों में भी उनके बत्तख की डिलीवरी होती है. उन्होंने बताया कि एक चूजा को तैयार करने में लगभग 175 से 180 रुपये का खर्च आता है और उसे 200 से 250 रुपये में बेचा जाता है, जिससे अच्छी-खासी आमदनी हो जाती है. इस आमदनी से वे न सिर्फ अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि बच्चों को बेहतर शिक्षा भी दिला पा रहे हैं. नेसार खान के फार्म से कई अन्य लोगों को भी रोजगार मिला है. आज वे भी बत्तख बेचकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. नेसार का मानना है कि युवाओं को केवल सरकारी नौकरी के भरोसे नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद से रोजगार सृजित कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. उनका यह प्रयास स्वरोजगार की दिशा में एक सशक्त उदाहरण बन गया है, जो बताता है कि अगर इच्छाशक्ति और मेहनत हो, तो कम संसाधनों से भी सफलता की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है.
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