भगवान बिरसा मुंडा की विरासत और उनकी पहचान को संरक्षित रखना समाज की जिम्मेदारी
भगवान बिरसा मुंडा की विरासत और उनकी पहचान को संरक्षित रखना समाज की जिम्मेदारी
लोहरदगा़ झारखंड स्थापना दिवस, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती सह जनजातीय गौरव दिवस पर बिरसा मुंडा शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. मौके पर भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य ओम प्रकाश सिंह और माटी कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्रीचंद प्रजापति सहित कई लोग मौजूद थे. कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने कहा कि धरती आबा बिरसा मुंडा के जीवन संघर्षों का अध्ययन करने से हमें अपनी मूल संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का महत्व समझ में आता है. उन्होंने बताया कि किस प्रकार विदेशी परंपराओं को बढ़ावा देने वाले लोगों ने आदिवासी समाज की रूढ़ि-पौराणिक परंपराओं को कमजोर करने का प्रयास किया. आज भी कुछ स्थानों पर ऐसे तत्व सक्रिय हैं, जो हमारी संस्कृति और पहचान पर प्रहार कर रहे हैं. वक्ताओं ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की विरासत और उनकी पहचान को संरक्षित रखना समाज की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ‘अबुआ सरकार’ कहती जरूर है, परंतु भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर दिवस की स्थापना भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की थी. राज्य की स्थापना भी भाजपा सरकार के नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुई थी. वक्ताओं ने कहा कि झामुमो आज झारखंड आंदोलन की बात करती है, जबकि सरकार उन्हीं दलों के साथ मिलकर चल रही है, जिन्होंने कभी झारखंड राज्य गठन का विरोध किया था. भाजपा हमेशा से देश की मिट्टी के लिए संघर्ष करने वाले महानायकों के योगदान को सम्मान देती आयी है. उनकी ऐतिहासिक जीवनी को पाठ्यक्रम में जोड़ने और उनकी भाषा तथा संस्कृति को जीवंत रखने का काम किया है. कार्यक्रम में युवाओं से अपील की गयी कि वे अपनी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को अपनाते हुए आगे बढ़ें, क्योंकि यही हमारी वास्तविक पहचान है. मौके पर हर्षनाथ महतो, बालकृष्णा सिंह, अनिल उरांव, पशुपति नाथ पारस, जगनंदन पौराणिक, मिथुन तमेड़ा, राजकुमार वर्मा,विवेक चौहान, सचिन सिंघानिया, विश्वजीत भारती, अशोक साहू, राजकुमार मुंडा, रामकुमार खेरवार, सरोज प्रजापति, अमित लोहरा,सुभाष यादव, प्रकाश नायक,सामेला भगत,पावन तिग्गा, आदित्य कुमार,शंकर प्रजापति, अशोक कास्यकार, विश्वजीत घोष,भगवान उरांव, प्रभु उरांव, केलू उरांव, बुधराम उरांव, कृष्ण मुंडा, अशोक चौहान, आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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