जर्जर सड़क बनी परेशानी, टूटे पुल से जान जोखिम में डाल आवागमन को विवश हैं लोग

जर्जर सड़क बनी परेशानी, टूटे पुल से जान जोखिम में डाल आवागमन को विवश हैं लोग

By SHAILESH AMBASHTHA | November 25, 2025 9:20 PM

किस्को़ हिसरी बोंगा से होते हुए आरेया जाने वाली मुख्य सड़क की जर्जर स्थिति से लोग परेशान हैं. जगह-जगह टूटी सड़क, बड़े-बड़े पत्थर और गड्ढे हर समय दुर्घटना को आमंत्रित कर रहे हैं. पूर्व उपमुखिया मनोज उरांव के घर के समीप स्थित पुल पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से टूटा हुआ है, जो ग्रामीणों के लिए गंभीर मुसीबत बना हुआ है. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में समस्या रखते हुए ग्रामीण सोमरा उरांव, मनोज उरांव, धाना उरांव, रमेश उरांव, महेश उरांव, नीरज उरांव सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उक्त सड़क पर पैदल चलना भी दूभर हो गया है. वाहन से आना-जाना भी जोखिम भरा हो गया है. कई स्थानों पर सड़क बहाव के कारण संकीर्ण हो गयी है और गड्ढों में तब्दील हो चुकी है. नुकीले पत्थर लोगों के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व उपमुखिया मनोज उरांव के घर के समीप टूटे पुल को श्रमदान कर आपसी सहयोग से चार बार वाहनों और लोगों के चलने योग्य बनाया गया, लेकिन बारिश होते ही वह बह जाता है. इससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाती है और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पुल के टूटे रहने से प्रशासनिक कार्यों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है. मांग करने के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं की गयी : ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार मरम्मत के बावजूद पुल टिक नहीं पा रहा है. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग करने के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं की गयी, जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है. सांसद, मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने पर भी कोई समाधान नहीं निकल सका है. पुल टूटे होने से आरेया, निरहू, चरहु, महुगांव, तेतर टांड़, बोंगा, हिसरी सहित कई गांवों के लोगों को आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इसके कारण प्रशासन को भी इन गांवों तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता है. ग्रामीण पुल निर्माण की मांग को लेकर उपायुक्त, स्थानीय विधायक एवं सांसद को आवेदन दे चुके हैं. प्रखंड में पदस्थापित अधिकारी जनसमस्याओं को लेकर उदासीन हैं : ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पंचायतों में शिविर लगाये जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, यह केवल आइवाश बनकर रह गया है. प्रखंड में पदस्थापित अधिकारी जनसमस्याओं के प्रति उदासीन हैं और ब्लॉक में दलाली चरम पर है. लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाये ताकि उन्हें आवागमन की परेशानी से निजात मिल सके, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

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