ठाकुरबाड़ी से धूम-धाम से निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
लातेहार में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा बीते 191 वर्षों से अनवरत रूप से चली आ रही है, जो जिले की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक बन चुकी है.
तसवीर-27 लेट-2 तीनो विग्रह, लेट-3 उपस्थित लोग लातेहार. लातेहार में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा बीते 191 वर्षों से अनवरत रूप से चली आ रही है, जो जिले की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक बन चुकी है. इस वर्ष भी ठाकुरबाड़ी मंदिर से भव्य रथ यात्रा निकाली गयी, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. मंदिर समिति के संरक्षक योगेश्वर प्रसाद ने पत्नी के साथ भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर उन्हें रथ पर विराजमान किया. यह रथ यात्रा आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित होती है. मान्यता है कि इसकी झलक मात्र से सहस्त्र यज्ञों के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है. इसके एक दिन पूर्व नेत्रदान जैसे पुनीत कार्यों का आयोजन कर कार्यक्रम को सामाजिक सरोकार से भी जोड़ा गया. रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान के रथ को खींचते हुए पूरे शहर में भ्रमण कराया. सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर एसडीपीओ अरविंद कुमार स्वयं पुलिस बल के साथ मौके पर मौजूद रहे. इतिहास की बात करें तो लातेहार में रथ यात्रा की शुरुआत वर्ष 1833 में बाजारटांड़ स्थित प्राचीन शिव मंदिर से हुई थी. इसे महंत पूरनदास जी महाराज ने शुरू किया था. उनके निधन के पश्चात उनके वंशज महंत शरणदास, जनकदास व यदुवंशी दास इस परंपरा को निभाते रहे. वर्ष 1995 में ठाकुरबाड़ी मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद से रथ यात्रा यहीं से निकाली जाने लगी. आज यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है. रथ यात्रा लोगों के विश्वास, परंपरा और समाज के मूल्यों को जोड़ने वाला एक सशक्त माध्यम बन गया है.
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