वंशराज भगत हत्याकांड मामले के 12 आरोपियों ने किया सरेंडर, भेजे गये जेल

चर्चित वंशराज भगत हत्याकांड के शेष 12 आरोपियों ने बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मो तौफिक अहमद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है. अदालत ने इन आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. इससे पहले दो आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. वंशराज भगत हत्याकांड के सभी 14 आरोपी अब सलाखों के पीछे हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 27, 2020 8:00 PM

लातेहार : चर्चित वंशराज भगत हत्याकांड के शेष 12 आरोपियों ने बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मो तौफिक अहमद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है. अदालत ने इन आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. इससे पहले दो आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. वंशराज भगत हत्याकांड के सभी 14 आरोपी अब सलाखों के पीछे हैं.

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ज्ञात हो कि गत 12 मई को ओझा गुणी के आरोप में सदर थाना क्षेत्र के सोहदाग ग्राम निवासी वंशराज भगत (65) की हत्या गांव में पीट-पीट कर हुई थी. वंशराज के परिजनों ने सदर थाना, लातेहार में कुल 14 आरोपियों पर थाना कांड संख्या 108/2020 के तहत भादवि की धारा 143, 148, 149, 302, 341, 342, 504, 506, 379, 314 तथा 3/4 डायन भूत अधिनियम के तहत नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

नामजद आरोपियों में सुनील उरांव तथा बंधन गंझू को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि शेष शीतलाल उरांव, बुधवा टाना भगत, अजय टाना भगत, लक्षमण टाना भगत, विशुनदेव टाना भगत, देवसहाय टाना भगत, जट्टू टाना भगत, धाना टाना भगत, बाबुलाल टाना भगत, श्याम उरांव, जुगल उरांव व रंजीत उरांव फरार थे. जिन्होने 27 मई को अदालत में आत्मसपमर्ण कर दिया. न्यायिक हिरासत में भेजे जाने से पूर्व सभी आरोपियों का सदर अस्पताल में मेडिकल जांच एवं थर्मल स्क्रिनिंग कराया गया.

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क्या है मामला

वंशराज भगत का भाई शीतलाल भगत ने आरोप लगाया था कि वंशराज ने ओझा गुणी कर उसके भाई विजय भगत पर भूत लगा दिया है, जिससे उसकी एक सप्ताह पहले मौत हो गयी थी. इसी को लेकर उसने गत 12 मई को गांव में एक पंचायत बुलायी. वंशराज भगत को पंचायत में बुलाया गया और उसे अपना दोष स्वीकार करने को कहा गया. लेकिन, वंशराज बार- बार कहता रहा कि विजय की मौत में उसका कोई हाथ नहीं है. इसके बाद पंचायत के आदेश पर उसके दोनों हाथों को पीछे की तरफ कर बांध दिया गया और उसके बेटे सीताराम को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में लिया. पंचायत ने वंशराज को दोषी मानते हुए लाठी- डंडों से पीटने की सजा सुनायी थी. इसके बाद उसकी तब तक पिटायी की गयी, जब तक उसकी मौत न हो गयी.

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