भक्ति, परंपरा व आस्था के साथ आरंभ हुई मां मनसा की पूजा

मान्यता है कि मां मनसा की पूजा करने से याचक और उसका परिवार विष के प्रभाव से मुक्त रहता है तथा सांप-बिच्छू जैसे विषैले जीव-जंतुओं से सामना नहीं होता है.

By JIYARAM MURMU | August 17, 2025 9:18 PM

कुंडहित. बांग्ला सावन माह के अंतिम दिन से शुरू होकर भादो महीने के अंतिम दिन तक, पूरे एक माह तक कुंडहित प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों के बंगाली बहुल गांवों में विष की देवी मां मनसा की पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा. मान्यता है कि मां मनसा की पूजा करने से याचक और उसका परिवार विष के प्रभाव से मुक्त रहता है तथा सांप-बिच्छू जैसे विषैले जीव-जंतुओं से सामना नहीं होता है. मां मनसा को विषहरी देवी के रूप में जाना जाता है और क्षेत्र के लोगों की आस्था इस देवी में अटूट है. परंपरा के अनुसार प्रत्येक परिवार का एक सदस्य निर्जला उपवास रखकर पूजा-अर्चना करता है और उसके उपरांत ही जल ग्रहण करता है. माह व्यापी चलने वाले इस पूजन कार्यक्रम का शुभारंभ रविवार को हुआ. पहले दिन मुख्यालय स्थित केवटपाड़ा के अलावा बनकाठी, गड़जोड़ी, शिवराम, पालाजोड़ी, सियारसुली, खाजुरी, बागडेहरी, अंबा, सालदहा, लौहट, हरिनारायणपुर सहित कई गांवों में मां मनसा की प्रतिमा स्थापित की गयी. वहीं कुछ स्थानों पर कलश स्थापना कर पूजा-अर्चना की गयी. प्रखंड के कई गांवों में मां मनसा देवी के स्थायी मंदिर हैं, जहां पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ पूजा संपन्न होती है. जिन गांवों में मंदिर नहीं है, वहां प्रतिमा या कलश स्थापित कर कठोर उपवास और व्रत के साथ भक्तगण मां की आराधना करते हैं. पूजा दो पद्धतियों से होती है सामिष और आमिष. सामिष पूजा करने वाले भक्त बिना पशु बलि के पूजा-अर्चना करते हैं, जबकि आमिष पूजा करने वाले भक्त बकरा एवं भेड़ की बलि चढ़ाते हैं. बलि के बाद मांस को प्रसादस्वरूप परिजनों और आमंत्रित अतिथियों के बीच वितरित किया जाता है. मां मनसा पूजा के अवसर पर प्रखंड के विभिन्न गांवों में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी उत्साह और उल्लास के साथ किया जाता है. बहरहाल, रविवार से कुंडहित प्रखंड क्षेत्र में मां मनसा पूजा का माहव्यापी आयोजन पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ आरंभ हो गया है. पूजा को लेकर बाजारों में भी खासा चहल-पहल रही.

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