आदिवासी की हड़पी गयी जमीन को वापस कराएंगे, 22 दिसंबर को भोगनाडीह से किया जायेगा प्रारंभ : चंपाई सोरेन
नाला के नूतनडीह में आदिवासी सांवता सुसार आखड़ा के तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया.
नाला. प्रखंड के नतुनडीह मैदान में आदिवासी सांवता सुसार आखड़ा के तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया. उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पू्र्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन उपस्थित थे. मौके पर आयोजक कमेटी ने मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों को आदिवासी परंपरा के अनुसार पारंपरिक नृत्य के साथ स्वागत किया गया तथा अंगवस्त्र एवं माला पहनाकर सम्मानित किया गया. सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि संथाल की धरती सिदो-कान्हू, चांद भैरव, तिलका मांझी के खून से साना हुआ धरती है. अंग्रेज आदिवासी मूलवासी के बहन बेटियों का शोषण-शासन करते थे एवं आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए अत्याचार करते थे. इस शोषण से मुक्ति पाने के लिए हूल विद्रोह के माध्यम से अंग्रेजों के दांत खट्टे किए. अन्ततः 22 दिसंबर 1855 को भागलपुर एवं बीरभूम पश्चिम बंगाल को मिला कर संथाल परगना का निर्माण किया गया एवं आदिवासियों मूलवासियों की हितों की रक्षा के लिए संथालपरगना काश्तकारी अधिनियम एवं छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम बनाया गया. कहा कि आदिवासी समुदाय का एक अलग सांस्कृतिक आध्यात्मिक संस्कार है, जिसे हर हाल में हम आदिवासियों को बचाना होगा. खोती जा रही आदिवासी परंपरा माझी थान, जाहेर थान के साथ-साथ आदिवासी विरासत को बचाना होगा. इतना कुछ होने के बावजूद संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासी समाज की अस्मिता खतरे में है और आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है. लगभग 300 साल पार होने के बावजूद आदिवासी की दशा-दिशा में सुधार नहीं हुआ. आदिवासी समाज को चिंतन-मनन करने की आवश्यकता है. कहा कि फिर से एक हूल के माध्यम से आदिवासी की हड़पी गए जमीन को वापस कराएंगे, जिसका आगाज आगामी 22 दिसंबर को भोगनाडीह से प्रारंभ किया जाएगा. कहा कि सिदो कान्हू, चांद भैरव एवं दिशोम गुरु शिबू सोरेन से प्रेरणा लेकर एक शोषणमुक्त झारखंड निर्माण के लिए संगठित होकर आंदोलन की शुरुआत की जाएगी. सामाजिक व्यवस्था पर छेड़छाड़ करेंगे तो बाईसी बुलाकर जाहेर थान, मांझी थान एवं खोयी हुई जमीन को छुड़ा लेंगे. इस अवसर पर और कई वक्ताओं ने अपना वक्तव्य दिया. इससे पूर्व श्री सोरेन ने सिदो-कान्हू, फूलो झानो, पंडित रघुनाथ मुर्मू एवं दिशोम गुरु शिबू सोरेन के चित्र पर माल्यार्पण किया. वहीं आदिवासी परंपरा के अनुसार नृत्य गीत प्रस्तुत की गई. मौके पर जिप सदस्य राधा रानी सोरेन, नुनुलाल मरांडी, प्रभास हेंब्रम, दिलीप हेंब्रम, सुकुमुनी हेंब्रम, किरण बेसरा, किसन मुर्मू, श्याम लाल टुडू, मीनिश्वर मुर्मू समेत आयोजक कमेटी सदस्य एव अन्य जिलों के गणमान्य लोग उपस्थित थे.
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