राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लगातार है प्रयासरत : मंत्री
मिहिजाम. वैश्विक शोध व्यवस्था पर कृत्रिम बौद्धिकता के प्रभाव पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार मिहिजाम के नगर भवन में शुरू हुआ.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन प्रतिनिधि, मिहिजाम. वैश्विक शोध व्यवस्था पर कृत्रिम बौद्धिकता का प्रभाव पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन मिहिजाम के नगर भवन में किया गया. सेमिनार का आयोजन जनजातीय संध्या डिग्री में महाविद्यालय मिहिजाम एवं टूकोन रिसर्च एंड डेवलपमेंट बेंगलुरु के संयुक्त तत्वावधान में हुआ. शुभारंभ सिधो-कान्हु व दिशोम गुरु शिबू सोरेन की तस्वीर पर पुष्प अर्पण से हुआ. इस अवसर पर विद्वान स्कॉलर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मानव जीवन पर पड़ रहे प्रभावों पर अपने विचारों को रखा. स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. उन्होंने मिहिजाम एवं नारायणपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित होने की जानकारी दी. कहा कि समाज के सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर विकास कार्यों को कर रही है. मानव शुरू से ही खोजी प्रवृत्ति का रहा है : डॉ पीके झा मौके पर सेमिनार में प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर सिमर फाउंडेशन नेपाल के सभापति डॉ पीके झा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका आज के वैश्विक परिपेक्ष्य उचित है. मानव शुरुआत से ही खोजी प्रवृत्ति का रहा है. उसने जहां आवश्यकता समझा वहां, अनुसंधान खोज शुरू कर दिया. आज वैश्विक परिदृश्य कृत्रिमता की एवं बुद्धिमता की जरूरत महसूस की जा रही है. हमें भी अनुसंधान जारी रखना है. उन्होंने इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव की चर्चा कर कहा कि नकारात्मक के बजाय इसके सकारात्मक परिणाम की ओर बढ़ना चाहिए. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका आज विकास के सभी आयामों में है. यह तत्परता से हमें परिणाम देता है. इसलिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए. डॉ विनोद कुमार शर्मा, पीजी हेड मनोविज्ञान विभाग विश्वविद्यालय दुमका ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानवीय सोच एवं संवेदना का मुकाबला नहीं कर सकता है. मानव में संवेदनशीलता होती है यह स्थान वह प्राप्त नहीं कर सकता है. इसकी एक सीमा है. सेवानिवृत्त उपविकास आयुक्त देवघर नवीन कुमार ने कहा कि दुनिया इस मामले में काफी आगे निकल चुकी है. हम इसमें पीछे रह गए हैं, लेकिन इस दिशा में हमने भी बढ़ाना आरंभ कर दिया है. आज भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक अलग पहचान बना ली है. सेमिनार में दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्याता डॉ लाल बहादुर स्वर्णकार, एफटीआइ जमशेदपुर के व्याख्याता डॉ कृष्ण मुरारी झा, दुमका विश्वविद्यालय सोशल साइंस एवं ह्यूमैनिटीज पूर्व डीन डॉ विनय कुमार सिन्हा, रसायन विभाग विभागाध्यक्ष डॉ हसमत अली, डॉ राम तपस्वी सिंह ने भी अपने विचारों को रखा. महाविद्यालय प्राचार्य ने अतिथियों को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया. कहा कि यह मंच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संदर्भ में नवीन शोध के क्षेत्र में आने वाले बाधाओं व चुनौतियों का सामना करने के लिए दिशा प्रदान करेगा. वहीं अतिथियों ने शो-वेनियर का विमोचन किया. मौके पर पूर्व सांंसद फुरकान अंसारी, रजाउल रहमान, टूकोन बेंगलुरु के केतन मिश्रा, डॉ राकेश रंजन, प्रो कैलाश प्रसाद साह सहित अन्य शिक्षक मौजूद थे.
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