कर्मकार-आदिवासी समुदाय ने मनसा पूजा श्रद्धा से मनायी

फतेहपुर के जानूमडीह गांव में कर्मकार और आदिवासी समुदाय द्वारा बंगला पंचांग के अनुसार अंतिम भादो पर वार्षिक मनसा पूजा आयोजित की गई। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर रात्रि में तालाब से घटवारी लाकर मनसा देवी की प्रतिमा स्थापित कर फल-फूल, दूध, चुनरी आदि से पूजा की। सुबह देवी को बकरी की बलि दी गई। शाम को मेला आयोजित हुआ, जिसमें आस-पास के गांवों से भारी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। मेला में बच्चे झूले और खेल का आनंद लेते रहे, तथा ग्रामीणों ने मेल-मिलाप कर सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा दिया। पूजा कर्मकार और आदिवासी समुदाय की आस्था एवं परंपरा का प्रतीक है, जो भक्ति और उत्सव से परिपूर्ण रहा।

By JIYARAM MURMU | September 18, 2025 9:25 PM

फतेहपुर/बिंदापाथर. जानूमडीह गांव में बंगला पंचांग के अनुसार अंतिम भादो पर कर्मकार एवं आदिवासी समुदाय द्वारा वार्षिक मनसा पूजा का आयोजन किया गया. बुधवार को श्रद्धालुओं ने दिनभर उपवास रखा और रात्रि में निकटवर्ती तालाब से घटवारी लाकर विधि-विधान के साथ मनसा देवी की प्रतिमा स्थापित की. पूजा में फल-फूल, दूध, लावा, चुनरी, नारियल और भोग नैवेद्य अर्पित किए गए. रातभर शीतल पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें भक्ति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा. गुरुवार की सुबह परंपरागत रूप से देवी मां को बकरे की बलि दी गई. इसके बाद शाम को मेले का आयोजन हुआ, जिसमें आसपास के कई गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. मनसा पूजा कर्मकार और आदिवासी समुदाय के बीच आस्था और परंपरा का प्रतीक है. पूरे गांव में भक्ति और उत्सव का माहौल छाया रहा. रातभर जात मंगल पाला, मंत्रोच्चार और डीजे की धुन पर गीत-संगीत गूंजते रहे. संध्या को आयोजित मेले में जानूमडीह, खतीपुर, दिघरिया, चापुड़िया, हरिपुर, बामुकानाली, पालोजोड़ी सहित आसपास के गांवों से ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे. बच्चे झूले, दुकानों और खेल-तमाशे का आनंद लेते नजर आए, जबकि ग्रामीणों ने मेल-मिलाप कर सामाजिक सौहार्द को मजबूत किया.

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