पीएम मोदी के नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के निर्णय को पंख लगा रहा सीएसआइआर-एनएमएल

National Science Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के फैसले को पंख लगा रहे हैं सीएसआईआर-एनएमएल. इसने कई ऐसे काम किये हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होने वाला है.

By Mithilesh Jha | February 28, 2025 5:30 AM
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National Science Day| जमशेदपुर, संदीप सावर्ण : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर 2021 को स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) में घोषणा की थी कि भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा. इस सम्मेलन में उन्होंने भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं (पंचामृत) की घोषणा की, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार और कार्बन उत्सर्जन में कमी से जुड़े अन्य लक्ष्य भी शामिल थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस घोषणा को धरातल पर उतारने की दिशा में सीएसआइआर-एनएमएल द्वारा महत्वपूर्ण पहल की जा रही है. सीएसआइआर-एनएमएल आयरन मेकिंग में हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने की टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. इससे कार्बन डाइऑक्साइड का जो उत्सर्जन होता है, वह कम हो जाएगा. इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बाद ग्लोबल वार्मिंग पर बुरा असर नहीं पड़ेगा. इसके लिए सीएसआइआर-एनएमएल द्वारा एक कंपनी के साथ करार करने की दिशा में काम हो रहा है.

स्टील बनाने में हाइड्रोजन के इस्तेमाल से कम होगा कार्बन उत्सर्जन

यह जानकारी सीएसआइआर-एनएमएल के डायरेक्टर डॉ संदीप घोष चौधरी ने दी. प्रभात खबर से बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि पारंपरिक आयरन मेकिंग (जैसे ब्लास्ट फर्नेस विधि) में कोक (कोयला) का उपयोग होता है, जिससे सीओ2 उत्सर्जित होता है. लेकिन, हाइड्रोजन के उपयोग से कार्बन डायऑक्साइड (सीओ2) की जगह पानी (एच2ओ) बनता है, जिससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम होता है. अगर हाइड्रोजन को हरित स्रोतों (जो नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित होता है) से प्राप्त किया जाये, तो स्टील उत्पादन पूरी तरह कार्बन-न्यूट्रल हो सकता है. इससे क्लाइमेंट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिल सकती है. साथ ही इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्टील उद्योग में कोयले की निर्भरता भी कम होगी, जिससे कोयले की कीमतों और आपूर्ति संकट पर निर्भरता घटेगी. सीएसआइआर-एनएमएल द्वारा जो टेक्नोलॉजी तैयार की जा रही है, इससे आने वाले दिनों में देश व दुनिया को काफी फायदा होने की उम्मीद है.

पिछले साल भारत का औसत तापमान सामान्य से 0.65 डिग्री बढ़ा

ग्लोबल वार्मिंग वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है. जिसमें वैश्विक औसत सतही तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों (1850-1900) से 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है. भारत में वर्ष 2024 में औसत तापमान सामान्य से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.

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सेना के लिए बुलेट प्रूफ आर्म्ड व्हीकल तैयार करने में मदद कर रही है एनएमएल

आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस है. इस वर्ष विज्ञान दिवस की थीम ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’ तय किया गया है. इसी थीम पर जमशेदपुर स्थित सीएसआइआर-एनएमएल के वैज्ञानिकों द्वारा देश-दुनिया को एक से बढ़कर एक नयी टेक्नोलॉजी प्रदान की जा रही है. युवा वैज्ञानिकों द्वारा भारतीय सेना के लिए खासतौर पर आर्म्ड व्हिकल तैयार की जा रही है. बताया कि कई बार भारतीय सेना बड़े मिशन पर जब जाती है, तो सैनिक जिस वाहन में बैठते हैं, वह काफी भारी होती है. इसकी वजह से ऊंचाई वाली जगहों पर पहुंचने में उसे दिक्कत होती है. अब आर्म्ड व्हिकल तैयार कर रहे हैं. इसमें सेना की गाड़ियों के ऊपर मैग्नीशियम की एक प्लेट लगायी जायेगी. ऐसा करने से सेना की गाड़ियों का वजन कम हो जाएगा, इससे उसकी स्पीड तो बढ़ेगी ही, बुलेटप्रूफ भी होगी. वाहनों को बुलेटप्रूफ बनाने के चक्कर में गाड़ियां अभी भारी हो जातीं हैं.

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