Jamshedpur News : जमशेदपुर में लगी डाक विभाग की प्रदर्शनी, विश्व व भारत का पहला डाक टिकट बना आकर्षण का केंद्र

Jamshedpur News : बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के सभागार में दो दिवसीय फिलाटेली प्रदर्शनी (जम्पेक्स-2025) का शुभारंभ किया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | February 22, 2025 11:34 PM

यादगार डाक टिकट, लिफाफे और अन्य सामग्रियां देखकर रोमांचित हुए लोग

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बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के सभागार में दो दिवसीय फिलाटेली प्रदर्शनी (जम्पेक्स-2025) का शुभारंभ किया गया. भारतीय डाक विभाग, सिंहभूम मंडल द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का मुख्य डाक महाध्यक्ष झारखंड परिमंडल विधानचंद्र राय ने विधिवत उद्घाटन किया. इस प्रदर्शनी में मूल्यवान एवं दुर्लभ डाक टिकट 114 फ्रेम में प्रदर्शित की गयी. प्रदर्शनी में डाक विभाग द्वारा विभिन्न काउंटर भी लगाकर लोगों को विभाग में माई स्टाम्प, बचत खाता, डाक जीवन बीमा, इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की सुविधा दी गयी. इस अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक, बिष्टुपुर शाखा के 101 वर्ष पूरे होने पर विशेष आवरण का अनावरण किया गया. भारतीय स्टेट बैंक के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य प्रबंधक प्रियंका सिन्हा एवं उपप्रबंधक निरंजन सुमन टुडू उपस्थित थे. इसमें विश्व का पहला पैनी ब्लैक 1840 तथा भारत का पहला डाक टिकट लिथोग्राफ 1854 को प्रदर्शित किया गया. इस प्रदर्शनी के दौरान डाक विभाग द्वारा भारतीय संस्कृति पर विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे स्टाम्प डिजाइन प्रतियोगिता (डाक टिकट चित्रकला), लेटर राइटिंग कंपीटिशन आयोजित की गयी. इस प्रदर्शनी में विभिन्न जिलों के प्रसिद्ध व नए फिलाटेलिस्ट भाग ले रहे हैं.

एक से बढ़कर एक डाक टिकट प्रदर्शित

1. पहली बार एयरबैलुन से भेजे गये लिफाफा2. कबूतर से भेजा गया अंतरदेशीय

3. आजादी के वक्त निकाला गया भारत के आजादी का डाक टिकट

4. महात्मा गांधी की हत्या के बाद निकाला गया डाक टिकट

5. अयोध्या के प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर निकाला गया डाक टिकट और लिफाफा

6. बिष्टुपुर में डाक सेवा शुरू करने को लेकर लिखे गये पत्र को भी यहां प्रदर्शित किया गया है. पहला डाकघर यहां खुला था.

7. भारत में आधा आना, एक आना, चार आना में मिलने वाले डाक टिकटों की श्रृंखला भी पेश की गयी है, जिसको अक्तूबर 1854 में तैयार किया गया था. कोलकाता के प्रिंटिंग प्रेस में इसको छापा गया था.

8. दुनिया के पहला डाक टिकट को भी यहां प्रदर्शित किया गया था, जिसकी शुरुआत 1 मई 1840 में की गयी थी. पहली बार 16 अगस्त 1840 को बरमिंघम से एक पत्र भेजा गया था.

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