जगन्नाथ प्रभु स्नान के बाद एकांतवास पर गये
विग्रहों के साथ गये एकांतवास पर
बड़कागांव. प्रखंड के राम जानकी मंदिर में बुधवार को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा का स्नान विधि कार्यक्रम किया गया. वहीं पुजारी चिंतामणि महतो के नेतृत्व में पूजा-अर्चना कर भोग लगाया गया. इस अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ सहोदरों के साथ एकांतवास में चले गये. अनुष्ठान में गायत्री देवी, सतीश मिश्रा, पिंटू गुप्ता, कीर्तन महतो, बीना देवी, सुनीता देवी, प्रकाश महतो, अंतू महतो, बंधन महतो, पदुम महतो, रविंद्र लाल, हरिनाथ राम, कैलाश कुमार, आनंद कुमार, मदन महतो समेत अन्य उपस्थित थे.
क्यों अज्ञातवास में जाते हैं भगवान जगन्नाथ
हर साल 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ के बीमार होने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता यह भी है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भक्तों द्वारा स्नान कराने के बाद भगवान रात में बीमार पड़ जाते हैं. इस दौरान उन्हें अन्न का भोग नहीं लगाकर काढ़ा पिलाया जाता है. शीतल लेप भी लगाया जाता है. इस दौरान मंदिर में न तो घंटी बजती है न भक्त दर्शन कर पाते हैं.
भक्तों को कब दर्शन देंगे स्वामी जगन्नाथ
पूजा समिति के अध्यक्ष पिंटू गुप्ता व पुजारी चिंतामणि महतो ने बताया कि पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद इंसान एवं जीव-जंतु बीमार न हों, इसके लिए भगवान जगन्नाथ स्वयं बीमार हो जाते हैं. 15 दिनों तक मंदिर का कपाट बंद कर एकांतवास में रखकर भगवान का उपचार विशेष औषधियों से किया जाता है. 27 जून को रथ यात्रा मेला का आयोजन होगा. उसी दिन भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देंगे.
बड़कागांव में धूमधाम से निकलती है रथ यात्रा
बड़कागांव में रथ यात्रा धूमधाम से निकाली जाती है, जिसमें हजारों की तादाद में भक्त जुटते हैं. कई महीने पहले से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती है. रथ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है और शुक्ल पक्ष के सातवें दिन जगन्नाथ भगवान की वापसी के साथ यात्रा का समापन होता है.
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