जैन मंदिर में 64 रिद्धि विधान का आयोजन
जैन धर्म के महान संत आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज जी के संघ की ब्रह्मचारिणी बहन संपदा दीदी और अनीता दीदी के सानिध्य में एक भव्य और अतिशयकारी 64 रिद्धि विधान अनुष्ठान का आयोजन किया गया.
19 हैज 1 में रिद्धि विधान अनुष्ठान में शामिल श्रद्धालु हजारीबाग. जैन धर्म के महान संत आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज जी के संघ की ब्रह्मचारिणी बहन संपदा दीदी और अनीता दीदी के सानिध्य में एक भव्य और अतिशयकारी 64 रिद्धि विधान अनुष्ठान का आयोजन किया गया. यह अनुष्ठान बड़ा बाजार दिगंबर जैन मंदिर में वर्षा योग की पावन बेला में हुआ, जिसने सभी भक्तों के मन को आनंदित कर दिया. विधानाचार्य पंडित दीपक शास्त्री के निर्देशन में संपन्न हुए इस महाअनुष्ठान का उद्देश्य आत्मा को निर्मल करना और जीवन को मंगलमय बनाना था. अनुष्ठान के पुण्यार्जक विनायक विनायका परिवार और प्रेमचंद दीपक अजमेरा परिवार थे. अनुष्ठान में जैन समाज के कई श्रावक और श्राविकाएं भी शामिल हुए. अमित जैन विनायका ने 64 रिद्धि विधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जैन धर्म के अनुसार, 64 ऋद्धियां वे चमत्कारिक शक्तियां हैं जो कड़ी तपस्या से प्राप्त होती हैं. ये ऋद्धियां मुनिराजों को असाधारण क्षमताएं प्रदान करती हैं, जो उन्हें मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायक होती हैं.64 ऋद्धियों के मुख्य प्रकार- बुद्धि रिद्धि: इसमें 18 प्रकार की शक्तियाँ होती हैं. विक्रिया रिद्धि: इसमें 11 प्रकार की शक्तियाँ होती हैं.. क्रिया रिद्धि: इसमें नौ प्रकार की शक्तियां होती हैं. तप रिद्धि इसमें सात प्रकार की शक्तियां होती हैं. औषधि रिद्धि इसमें आठ प्रकार की शक्तियाँ होती हैं. रस रिद्धि: इसमें 6 प्रकार की शक्तियाँ होती हैं. अक्षिण रिद्धि इसमें दो प्रकार की शक्तियां होती हैं. बल रिद्धि इसमें तीन प्रकार की शक्तियां होती हैं. हर्षोल्लास और वात्सल्य भोज के साथ अनुष्ठान का समापन किया गया.
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