झारखंड : नक्सल प्रभावित गुमला के बिशुनपुर क्षेत्र में नेटवर्क नहीं, राशन वितरण में हो रही परेशानी

गुमला के नक्सल प्रभावित बिशुनपुर स्थित गुरदरी और अमतीपानी पंचायत क्षेत्र में नेटवर्क नहीं रहने से लाभुकों को राशन नहीं मिल पा रहा है. इसको लेकर डीलर्स ने डीसी से नेटवर्क की सेवा बहाल करने या अपवाद रजिस्टर के माध्यम से राशन वितरण की अनुमति देने की मांग की है.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 14, 2023 7:18 PM

गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला जिला अंतर्गत बिशुनपुर प्रखंड के घोर नक्सल प्रभावित गुरदरी और अमतीपानी पंचायत में राशन वितरण करने में परेशानी आ रही है क्योंकि इस क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. जिस कारण डीलर परेशान हैं. डीलरों ने इसकी शिकायत गुमला उपायुक्त से की है. राशन डीलरों ने उपायुक्त से नेटवर्क की सेवा बहाल करने और राशन वितरण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है.

राशन वितरण में हो रही परेशानी

इस संबंध में गुरदरी के राशन डीलर दीपक कुमार गुप्ता, सरना मां एसएसएस की मंजू देवी, निराला महिला समिति की मटिल्डा एक्का, अमतीपानी पंचायत के दीप ज्योति एसएचजी की रोजलिन तिर्की ने बताया कि बिशुनपुर प्रखंड के अति दुर्गम क्षेत्र गुरदरी और अमतीपानी पंचायत में नेटवर्क नहीं होने के कारण जनवितरण प्रणाली दुकानदारों को राशन वितरण में काफी परेशानी हो रही है.

नेटवर्क नहीं रहने से राशन वितरण में होती परेशानी

उन्होंने बताया कि पूर्व में ऑफलाइन और अगस्त, 2022 से अपवाद रजिस्टर के माध्यम से राशन वितरण किया जा रहा था. लेकिन, जनवरी 2023 से अपवाद की व्यवस्था को बंद कर दिया गया है. अगस्त, 2022 से पूर्व पठारी क्षेत्र के लाभुक 40-45 किमी की दूरी तय कर ई-पॉश मशीन में ऑनलाइन ठेपा करने बनारी आते थे. इस समस्या पर खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने संज्ञान लेते हुए आश्वस्त किया था कि पठारी क्षेत्र के डीलरों का मशीन ऑफलाइन कर दिया जायेगा. लेेकिन, अभी तक ऑफलाइन नहीं किया गया है. हालांकि, बाद में जिला आपूर्ति पदाधिकारी की पहल पर कुछ महीने तक अपवाद के माध्यम से राशन का वितरण किया गया.

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परेशान हैं ग्रामीण, सुध ले अधिकारी

इधर, इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च महीने तक मशीन के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण ऑफलाइन नहीं हो सका. हालांकि, सभी डीलरों द्वारा अपवाद रजिस्टर खोलकर मुखिया की देखरेख में खाद्यान्न का वितरण किया गया है. पठारी क्षेत्रों में नेटवर्क के अभाव में राशन कार्डधारियों के अधिकांश लाभुकों का एक, दो और तीन यूनिट का कार्ड है. ऐसे कार्डधारियों को ई-पॉश मशीन में ठेपा लगाने के लिए बनारी तक दौड़ लगाना पड़ता है. जिसमें प्रत्येक लाभुक को 150-200 रुपये तक खर्च हो जाता है. यदि क्षेत्र में नेटवर्क की सुविधा बहाल हो जाये अथवा अपवाद के माध्यम से खाद्यान्न वितरण की अनुमति मिलती है, तो कार्डधारियों को बनारी तक दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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