गुमला के लोहरा उरांव ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़े थे 2 युद्ध, 1965 और 1971 में दिखाया था पराक्रम

Lohra Oraon Death Anniversary: भारत-पाक युद्ध के नायक परमवीर चक्र विजेता लांसनायक अलबर्ट एक्का को तो सभी जानते हैं, लेकिन इसी जिले के बरगांव के लोहरा उरांव के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. हालांकि, गुमला के युवाओं के लिए लोहरा उरांव आज भी प्रेरणास्रोत हैं. महज 27 साल की उम्र में 1 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे.

By Mithilesh Jha | November 29, 2025 8:57 PM

Lohra Oraon Death Anniversary: झारखंड में गुमला जिले के सिसई प्रखंड के बरगांव गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे लोहरा उरांव आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं. 19 फरवरी 1946 को जन्मे लोहरा उरांव के पिता किसान थे. उनकी मां गृहिणी थीं. बचपन से ही लोहरा उरांव में देशभक्ति और पराक्रम की झलक दिखने लगी थी. कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य मातृभूमि की रक्षा को बनाया.

7 साल 135 दिन की नौकरी में 2 बड़े युद्ध लड़े लोहरा उरांव

भारतीय सेना में 20 जुलाई 1964 को क्राफ्टमैन (सिपाही) के रूप में भर्ती हुए. सेना में शामिल होते ही उन्होंने अनुशासन, समर्पण और अदम्य साहस का परिचय दिया. 7 वर्ष और 135 दिनों की सेवा के दौरान उन्होंने 2 बड़े युद्धों में हिस्सा लिया .भर्ती के महज एक वर्ष बाद ही 1965 में भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया. 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनके शौर्य को देखते हुए उन्हें रक्षा पदक प्रदान किया गया.

Lohra Oraon Death Anniversary: मात्र 27 साल की उम्र में 1 दिसंबर 1971 को शहीद हुए लोहरा

भारत-पाक युद्ध के दौरान 1 दिसंबर 1971 को लोहरा उरांव मातृभूमि की रक्षा करते हुए मात्र 27 वर्ष की आयु में शहीद हो गये. राष्ट्र के प्रति उनका सर्वोच्च बलिदान देशवासियों के दिलों में हमेशा अमर रहेगा. उनके स्मरण में सिसई थाना रोड पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है, जहां हर साल 1 दिसंबर को लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.

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सिसई में रहती है लोहरा उरांव की पत्नी, बेटा एचइसी में कार्यरत

लोहरा उरांव के शहीद होने से पहले उनकी शादी हो चुकी थी. उनकी पत्नी बंधाईन देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया था, जिसका नाम मंगल नाथ उरांव रखा गया था. बंधाईन देवी वर्तमान में सिसई में रहतीं हैं. मंगल नाथ उरांव रांची में एचईसी में काम करते हैं. लोहरा का परिवार आज भी गर्व के साथ उनके बलिदान को याद करता है.

लोहरा उरांव की पत्नी बंधाईन उरांव अपने बेटे, बहू और उनके बच्चों के साथ. फोटो : प्रभात खबर

बरगांव के वीर सपूत से आज भी युवा लेते हैं प्रेरणा

बरगांव के इस वीर सपूत से आज भी आने वाली पीढ़ियां सच्ची देशभक्ति की प्रेरणा लेते हैं. उन्हें इस बात के लिए आज भी याद किया जाता है कि इस गांव के एक वीर सपूत ने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का साहस रखता है. शहीद लोहरा उरांव का बलिदान सदैव स्मरणीय और प्रेरणादायी रहेगा.

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