Jharkhand News : गुमला शहर के देवी मंडप का इतिहास 120 साल पुराना, मंदिर में माता के सात स्वरूपों के पिंड है स्थापित

देवी मंदिर निर्माण समिति के उपाध्यक्ष अधिवक्ता रविंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि 1901 के बीच मंदिर की स्थापना की गयी है. इस मंदिर को बनाने के लिए बड़ाइक देवनंदन सिंह ने जमीन दान दी थी. इससे पूर्व वहां बच्चों को दफनाया जाता है. उस समय लोग वहां से आने-जाने में डरते थे. मंदिर स्थापना होने के बाद वहां काफी भव्य रूप से यज्ञ कराया जाता था.

By Prabhat Khabar | April 13, 2021 12:32 PM

Jharkhand News, Gumla News गुमला : गुमला शहर के एसएस बालक हाई स्कूल के समीप देवी मंडप मंदिर है. गुमला जिले के लोगों के लिए यह आस्था व विश्वास का केंद्र है. देवी मंडप की स्थापना के पीछे रोचक कहानी है. 1991 में देवी मंडप की स्थापना हुई थी. आज जिस स्थान पर देवी मंडप है. 1901 ईस्वी से पहले उस मंदिर के समीप बच्चों का श्मशान घाट हुआ करता था. वहां बच्चों को दफनाया जाता था. परंतु मंदिर की स्थापना के बाद व आसपास घनी आबादी बढ़ने के बाद श्मशान घाट को वहां से हटा दिया गया.

देवी मंदिर निर्माण समिति के उपाध्यक्ष अधिवक्ता रविंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि 1901 के बीच मंदिर की स्थापना की गयी है. इस मंदिर को बनाने के लिए बड़ाइक देवनंदन सिंह ने जमीन दान दी थी. इससे पूर्व वहां बच्चों को दफनाया जाता है. उस समय लोग वहां से आने-जाने में डरते थे. मंदिर स्थापना होने के बाद वहां काफी भव्य रूप से यज्ञ कराया जाता था.

वर्तमान में भी मंदिर परिसर में यज्ञ कुंड बना हुआ है. वहीं इस मंदिर के निर्माण कार्य के लिए गुमला के लोगों ने काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. जानकारी के अनुसार रघुवीर प्रसाद, अखौरी रवि रंजन, रघु साव, टोहन बाबू समेत कई लोगों ने मंदिर स्थापना में अहम योगदान दिया था. देवी मंडप में मां से मांगी गयी मुराद पूरी होती है. मंदिर में सात माता का पिंड का स्वरूप स्थापित है. जिसमें मां ब्राह्मी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, बाराही, तथेद्राणी, चामुंडा मां के स्वरूप का पिंड है. इसके अलावा दो वाहन शेर व भैरव भैया हैं. साथ ही बगल के मंदिर में शिवलिंग स्थापित है.

Posted By : Sameer Oraon

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