गुमला : बेटी के पैर में पायल की जगह लोहे की बेड़ी बंधी है, बेड़ियों में गुजर रही जिंदगी

दुर्जय पासवान, गुमला बेटी के पैर में पायल की जगह लोहे की बेड़ी बंधी हुई है. पैर में बंधी बेड़ी में ही जिंदगी गुजर रही है. हम बात कर रहे हैं, घाघरा प्रखंड के गम्हरिया गांव निवासी बिरसा मुंडा व सुकवारी मुंडाईन की बेटी सुंदैर कुमारी की. वृद्ध दंपती अपनी बेटी सुंदैर को दो माह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 18, 2019 10:00 PM

दुर्जय पासवान, गुमला

बेटी के पैर में पायल की जगह लोहे की बेड़ी बंधी हुई है. पैर में बंधी बेड़ी में ही जिंदगी गुजर रही है. हम बात कर रहे हैं, घाघरा प्रखंड के गम्हरिया गांव निवासी बिरसा मुंडा व सुकवारी मुंडाईन की बेटी सुंदैर कुमारी की. वृद्ध दंपती अपनी बेटी सुंदैर को दो माह से अपने ही घर में कैद कर रखने को विवश हैं.

दंपती ने बताया कि हमलोग वृद्ध हो चुके हैं. हम दोनों की उम्र 70 वर्ष पार हो चुकी है. हम दोनों अपनी विक्षिप्त बेटी की देखरेख नहीं कर सकते हैं. इस कारण उसे जंजीर में बांधकर रखते हैं. पिता बिरसा ने बताया कि उसकी बेटी सुंदैर का विवाह चार वर्ष पूर्व चेचेपाट गांव के बिरसु मुंडा से हुआ था. शादी के बाद विदाई किया गया. अपने ससुराल जाते ही सुंदैर विक्षिप्त हो गयी.

लौट-बहुर में आने के बाद सुंदैर दोबारा अपने ससुराल नहीं गयी. उसका पति उसे लेने के लिए आया था. परंतु विक्षिप्त होने के कारण उसे नहीं ले गया. धीरे धीरे उसकी मानसिक स्थिति और खराब होने लगी. तीन वर्ष पूर्व कांके में ले जाकर भरती कराया गया. कांके में कुछ दिन रखने के बाद चिकित्सकों ने उसे छुट्टी दे दी. घर लाने के बाद उसकी स्थिति और भी खराब हो गयी.

बिरसा ने बताया कि मेरा एक पुत्र जन्म से ही आंशिक विक्षिप्त है. जो गांव में दिन रात घूमते रहता है. बाकी सभी बेटे बाहर काम करते हैं. पूरे घर का जिम्मा बिरसा के ऊपर था पर बिरसा अब वृद्ध हो गया है. कमाने की स्थित में नहीं है. बिरसा को चिंता होने पर विक्षिप्त बेटी सुंदैर को सिकड़ में बांधकर रखा है.

इस संबंध में ग्रामीण पवन साहू ने बताया कि विक्षिप्त को ठीक कराने के लिए बदरी पंचायत में लगे जनता दरबार में शिकायत की गयी थी. साथ ही सीएम जनसंवाद में भी शिकायत किया गया है. इसके बाद भी अभी तक कुछ कार्रवाई नहीं हुआ. घर वालों के अलावा अगल बगल के लोग भी विक्षिप्त भाई बहन को देखकर परेशान होते हैं.

विक्षिप्त के पिता बिरसा मुंडा व माता सुकवारी मुंडाइन किसी को भी वृद्धा पेंशन नहीं मिलता है. सरकारी लाभ के नाम पर सिर्फ राशन मिलता है.

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