गुमला में एड्स से पांच साल में पांच पुरुष, चार महिला व एक बच्चे की मौत

दुर्जय पासवान@गुमला गुमला जिले में पांच साल के अंदर एड्स (एचआइवी) से दस लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें पांच पुरुष, चार महिला व एक बच्‍चे शामिल है. जबकि जिले में 184 लोग एड्स से अभी भी प्रभावित हैं. इनमें 12 बच्चे भी पीड़ित हैं. हालांकि इनका दवा चल रहा है. सभी एड्स पीड़ित […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 30, 2018 10:49 PM

दुर्जय पासवान@गुमला

गुमला जिले में पांच साल के अंदर एड्स (एचआइवी) से दस लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें पांच पुरुष, चार महिला व एक बच्‍चे शामिल है. जबकि जिले में 184 लोग एड्स से अभी भी प्रभावित हैं. इनमें 12 बच्चे भी पीड़ित हैं. हालांकि इनका दवा चल रहा है. सभी एड्स पीड़ित रांची से एआरटी दवा ले रहे हैं. गुमला शहर में सबसे ज्यादा 20 लोग एड्स से पीड़ित हैं.

दूसरे नंबर पर गुमला ग्रामीण में 16 लोग हैं. वहीं तीसरे नंबर पर रायडीह प्रखंड में 15 लोग व चौथे नंबर में कामडारा, पालकोट व सिसई प्रखंड में 12-12 लोग एड्स से प्रभावित हैं. गुमला शहर से पांच किमी दूरी पर एक ऐसा गांव है. जहां सात लोग एड्स से पीड़ित हैं. इसमें तीन बच्चे भी हैं. गुमला सदर अस्पताल स्थित परामर्श केंद्र की रिपोर्ट देंखे तो गुमला जिले के वैसे सैनिक जो बॉर्डर में तैनात हैं और देश की रक्षा में लगे हुए हैं. इनमें से कई लोग एड्स से प्रभावित हैं.

दर्जनों की संख्या में सैनिक व उनकी पत्नियां एड्स रोगी हैं. गुमला सदर अस्पताल के परामर्श केंद्र के अनुसार पत्नियों से लंबे समय तक दूर रहकर बॉर्डर में डयूटी करने वाले सैनिक दूसरी महिलाओं के संपर्क में आकर एड्स से प्रभावित हुए हैं. वहीं दिल्ली, चेन्नई व गोवा में जो लोग मजदूरी करने जाते हैं. उनमें से कई लोग एड्स से प्रभावित हो गये हैं. जब वे वापस घर लौटे तो उनके संपर्क में आने से पत्नियां भी इस बीमारी में फंस गयी है. हालांकि सभी लोग एआरटी दवा खा रहे हैं और अभी लंबी जिंदगी जी रहे हैं.

एड्स पीड़ित को लाइफ स्टाइल बदलना होगा

गुमला सदर अस्पताल के परामर्श केंद्र की माने तो एड्स पीड़ित को लंबी जिंदगी जीने के लिए अपना लाइफ स्टाइल बदलना होगा. अगर वह लाइफ स्टाइल नहीं बदलता है तो एड्स पीड़ित ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकता है.

गर्भवती महिलाओं की जांच अनिवार्य है

भारत सरकार का निर्देश है. अब गर्भवती महिलाओं की जांच जरूरी है. अगर गर्भवती महिला को एड्स है तो उसके बच्चे को भी गर्भ में यह बीमारी हो सकती है. इसलिए बच्चे को बचाने के लिए एड्स की जांच होती है. अगर गर्भवती महिला में एड्स का लक्षण हो तो उसके बच्चे को बचाया जा सकता है. गुमला सदर अस्पताल में पांच एड्स पीड़ित गर्भवती महिला का प्रसव हुआ है. इसमें चार बच्चे को एड्स से प्रभावित होने से बचाया गया. जबकि एक बच्चे का रिपोर्ट अभी तक कोलकाता से प्राप्त नहीं हुआ है.

सात गर्भवती महिलाएं एड्स से पीड़ित

परामर्श केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 2006 से लेकर 2017 तक हुई जांच में सात गर्भवती महिलाओं में एड्स पाया गया. लेकिन उनके बच्चों को एड्स से बचा लिया गया. रिपोर्ट के अनुसार 12 साल में 17435 गर्भवती महिलाओं की जांच की गयी. जिसमें सात लोग एड्स से पीड़ित मिले हैं.

महिलाओं से ज्यादा पुरुष पीड़ित

गुमला जिले में महिलाओं से ज्यादा पुरुष एड्स से पीड़ित हैं. जिले में एड्स पीड़ितों की संख्या 68 है. जबकि महिलाओं की संख्या 48 है. वहीं वर्ष 2006 से लेकर 2017 तक 19 हजार 960 पुरुष व 11 हजार 694 महिलाओं की जांच की गयी है.

झारखंड में करीब 26000 एड्स पीड़ित हैं

परामर्श केंद्र के अनुसार पूरे झारखंड राज्य में करीब 26 हजार लोग एड्स से पीड़ित हैं. जिनका इलाज चल रहा है. पहले तमिलनाडू, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा एड्स के रोगी होते थे. लेकिन अब इन राज्यों में एड्स की संख्या घट रही है. परंतु झारखंड, बिहार व उड़ीसा राज्य में एड्स पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है. खासकर झारखंड राज्य में एड्स पीड़ितों की संख्या बढ़ी है.

लिंक एआरटी केंद्र के लिए जगह नहीं मिल रही

गुमला में लिंक एआरटी (एंटी रेक्ट्रो भाइरल थिरेपी) केंद्र खुलना था. परंतु जगह नहीं मिल पायी है. जिस कारण केंद्र की स्थापना नहीं हो सकी. अगर गुमला में केंद्र खुलता है, तो एड्स पीड़ित लोगों को दवा के लिए रांची जाना नहीं पड़ता. अभी रोगियों को हर महीने दवा के लिए रांची जाना पड़ता है. बहुत से लोग गरीबी के कारण जा नहीं सकते और मौत के काल में चले जाते हैं. छह महीने में सीडी फोर जांच के लिए भी रांची जाना जरूरी है. लिंक एआरटी का प्रशिक्षण गुमला से डॉ जेपी सांगा व डॉ एके मिश्र ने लखनऊ में लिया है. लेकिन इनकी गुमला से बदली हो गयी. जिस कारण लिंक एआरटी का मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया है.

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