मिट्टी के घर में संचालित है केंद्र, तालाब से हादसे का डर
आंगनबाड़ी केंद्र गोरसंडा पूर्वी टोला की स्थिति बदहाल, अधिकारियों की नजर तक नहीं
दिव्यांग हैं सेविका, बच्चों को संभालने में रहतीं हैं असमर्थ गोड्डा. गोड्डा प्रखंड का आंगनबाड़ी केंद्र ऐसी स्थिति में संचालित हो रहा है, जिसे देखकर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति विचलित हो सकता है. दुर्भाग्य की बात यह है कि लगभग 20 वर्षों से संचालित यह केंद्र विभाग की नजरों से अब तक दूर है. गोरसंडा गांव के पूर्वी टोला (पोखर टोला) स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में छोटे-छोटे बच्चों की जान हर समय खतरे में रहती है. इसका मुख्य कारण केंद्र का जर्जर भवन है, जो मिट्टी का बना है. मुश्किल से छह फीट ऊंचा है. ऊपर से पुआल की छावनी होने के कारण यह किसी भी समय ढह सकता है. इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या केंद्र से बिल्कुल सटे करीब 10 एकड़ में फैला पानी से भरा तालाब है, जो हर समय आंगनबाड़ी सेविका के लिए चिंता का विषय बना रहता है. आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 20351020614 की सेविका सुनम कुमारी दिव्यांग हैं. वे पोलियोग्रस्त हैं, चलने-फिरने में असमर्थ हैं. बैठकर ही बच्चों को संभालती हैं. पोषण के साथ-साथ शिक्षा भी देती हैं. सुनम कुमारी बताती हैं कि वर्ष 2007 में केंद्र की स्वीकृति मिली थी. वर्तमान में केंद्र में लगभग 40 बच्चे नामांकित हैं. महज 200 रुपये प्रतिमाह किराए पर लिया गया. यह कच्चा घर ही केंद्र का संचालन स्थल है. जर्जर भवन तो खतरा है ही, उससे भी बड़ा खतरा उसके ठीक पीछे स्थित गहरा तालाब है. उन्होंने बताया कि केंद्र के लिए पक्का भवन उपलब्ध कराने को लेकर कई बार विभाग को पत्र भेजा गया, रिपोर्ट भेजी गयी, लेकिन हर बार प्रस्ताव सूची से बाहर ही रह गया. संबंधित पदाधिकारी सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर मामले को टालते रहे. सरकारी जमीन पर ही है तालाब, फिर भी केंद्र के लिए जमीन नहीं सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिस किराये के मकान में केंद्र चल रहा है, उसके पीछे का तालाब और आसपास बने दर्जनों घर सभी सरकारी जमीन पर ही बने हैं. बताया जाता है कि करीब पांच से सात बीघा जमीन सरकारी है, लेकिन केंद्र के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. सुनम कुमारी कहती हैं कि अब वे बार-बार अनुरोध करते करते थक चुकी हैं. इस बाबत बीडीओ दयानंद जायसवाल बताते हैं कि मामले की जानकारी अब मिली है. इसकी जांच करायी जायेगी. आवश्यक पहल तुरंत शुरू की जायेगी.
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