नाव, अस्त्र व ताला बनानेवालों को योजना का लाभ नहीं

लाभार्थियों ने कहा है कि यह अच्छी योजना है, लेकिन नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार व मोची को योजना का लाभ नहीं देना अनुचित है. कई लोगों का मानना है कि पीएम विश्वकर्मा योजना को बहुत सोच-समझकर 17 सितंबर 2023 को शुरू किया गया था.

By Prabhat Khabar News Desk | October 11, 2025 6:55 PM

पीएम विश्वकर्मा योजना. 18 में से 13 योजनाओं के पारंपरिक शिल्पकारों व कारीगरों को मिल रहा लाभ

सुनार व मोची भी हैं योजना से वंचित, उठाये सवाल

प्रतिनिधि, गोड्डा

केंद्र सरकार की पीएम विश्वकर्मा योजना युवाओं के लिए लाभकारी साबित हो रही है. लेकिन, गोड्डा के लाभार्थियों ने योजना को लेकर सवाल उठाये हैं. लाभार्थियों ने कहा है कि यह अच्छी योजना है, लेकिन नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार व मोची को योजना का लाभ नहीं देना अनुचित है. कई लोगों का मानना है कि पीएम विश्वकर्मा योजना को बहुत सोच-समझकर 17 सितंबर 2023 को शुरू किया गया था. मगर कई शिल्पकारों व कारीगरों मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय नहीं होने के कारण गोड्डा में कई योजनाओं का अच्छे से लाभ नहीं मिल पा रहा है. फिर भी हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में योजना का लाभ हम जैसे तक पहुंच पायेगा. लोगों ने पीएम विश्वकर्मा योजना की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक अच्छी योजना है, कुशल कारीगरों के लिए यह योजना वरदान के समान है. ताकि वे इससे जुड़कर लाभ उठा सकें. मगर गोड्डा जिले में नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार व मोची को योजना में शामिल नहीं किया गया. इस कारण इस धंधे से जुडे कारीगरों में निराशा का माहौल है. इस धंधे से जुडे लोगों ने पीएम मोदी से यही अपील है कि नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार व मोची को भी योजना का लाभ जल्द से जल्द दिया जाये.

क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर 2023 को शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना देश की पारंपरिक कलाओं को नया रूप देने और कारीगरों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण पहल है. योजना शिल्प उद्योग को नया रूप देने के लिए कौशल विकास और आधुनिक तकनीक के साथ-साथ तीन लाख रुपये तक बिना गारंटी ऋण भी प्रदान करती है. परंपरा और नवाचार को जोड़कर, यह योजना न केवल शिल्प कौशल की गुणवत्ता में सुधार करती है, बल्कि बाजार में कारीगरों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाती है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा संचालित पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य पारंपरिक शिल्पकला में लगे लोगों को सहयोग प्रदान करना है. यह उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपराओं और विविध विरासत को जीवित रखने की इच्छा से प्रेरित है.

किन पारंपरिक शिल्पकारों व कारीगरों को मिल रहा लाभ

गोड्डा जिले में पीएम विश्वकर्मा योजना में 18 में से 13 व्यवसायों में लगे कारीगर और शिल्पकार शामिल किए गए हैं, जिनमें कारपेंटर, लोहार, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, कुम्हार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाला, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने के जाल बनाने वाला शामिल है. जिले में पीएम विश्वकर्मा योजना में पांच व्यवसायों में लगे कारीगर और शिल्पकारों को शामिल नहीं किया गया है. जिनमें नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, ताला बनाने वाले, सुनार व मोची शामिल है.

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