लालच भरे लिंक से रहें सावधान, अनजाने मैसेज-ईमेल से बचें

प्लस टू हाइस्कूल विश्वासखानी में साइबर जागरुकता गोष्ठी का आयोजन

By SANJEET KUMAR | October 13, 2025 11:26 PM

साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम को लेकर सोमवार को हनवारा के प्लस टू हाइस्कूल विश्वासखानी में प्रभात खबर की ओर से जागरुकता अभियान के तहत साइबर गोष्ठी आयोजित की गयी. इसकी अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य मो. अब्दुल जब्बार ने की. बतौर एक्सपर्ट, दिलीप कुमार ने साइबर अपराध से जुड़े विषयों पर छात्राओं को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आजकल साइबर क्राइम के लोग तेजी से शिकार बन रहे हैं. इसका मुख्य कारण कुछ असावधानियां हैं, जिनका लोग पालन नहीं करते और इसलिए वे ठगी के शिकार बन जाते हैं. खासतौर पर स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों को साइबर फ्रॉड से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. दिलीप कुमार ने कहा कि आमतौर पर देखा जा रहा है कि साइबर फ्रॉड मोबाइल पर तरह-तरह के ऑफर एवं प्रलोभन वाले लिंक भेजकर स्टूडेंट्स को अपना शिकार बना रहे हैं. बचाव में छात्र-छात्राओं को जागरूक होने की जरूरत है. उन्होंने अनजान लिंक और अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचने की सलाह दी. मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करना भी बचाव का एक बेहतर तरीका है. सार्वजनिक वाई-फाई पर संवेदनशील जानकारी साझा करने से भी बचना चाहिए. उन्होंने एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करने, अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट रखने और संदिग्ध लिंक से बचने की अपील की. साथ ही कहा कि ईमेल, मैसेज या सोशल मीडिया पर अज्ञात स्रोतों से आए लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक न करें, क्योंकि वे मैलवेयर या फिशिंग स्कैम हो सकते हैं. हर ऑनलाइन खाते के लिए मजबूत और अलग पासवर्ड बनाएं और संभव हो तो मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सक्षम करें. कंप्यूटर और मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउज़र और अन्य सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें तथा एंटी-वायरस का उपयोग करें. उन्होंने कहा कि डिवाइस पर एक प्रतिष्ठित और अपडेटेड एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें ताकि मैलवेयर से सुरक्षा मिल सके. अपनी ऑनलाइन प्रोफाइल और सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की जाने वाली जानकारी के प्रति सतर्क रहें, क्योंकि यह स्कैमर्स को आपके खातों तक पहुँचने में मदद कर सकती है. अपनी पहचान से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जैसे स्कूल का नाम, पता, आधार नंबर आदि सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें. उन्होंने मोबाइल फोन पर भेजे जाने वाले लालच भरे ओटीपी को अनदेखा करने की बात कही और साथ ही किसी भी हाल में अनजान व्यक्ति को एटीएम नंबर या ओटीपी शेयर न करने की चेतावनी दी. मोबाइल में कई गेम्स से पैसा अर्जित करने की लालच में भी लोग साइबर फ्रॉड का शिकार बन रहे हैं. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि अपने परिवार और मित्रों के साथ इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में चर्चा करें और उन्हें साइबर अपराधों के बारे में जागरूक करें. उन्होंने कहा कि यदि आप साइबर क्राइम का शिकार होते हैं तो नजदीकी पुलिस थाना जाएं या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन रिपोर्ट कर सकते हैं. साथ ही संदिग्ध लेनदेन को रोकने के लिए 1930 पर कॉल भी किया जा सकता है. कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने सावधानी एवं सीमित इंटरनेट उपयोग करने का संकल्प लिया. वहीं वक्ताओं और छात्राओं ने प्रभात खबर के इस अभियान की बारी-बारी से सराहना की.

एक्सपर्ट की राय-

“समय बदल रहा है. आए दिन लोग साइबर क्राइम के शिकार बन रहे हैं. इंटरनेट के माध्यम से अपराध किए जाते हैं. इस अपराध का एकमात्र उद्देश्य रुपए-पैसे की ठगी करना होता है. सावधानी बरतने में चूक और जानकारी के अभाव में ही गलतियां हो जाती हैं. मोबाइल पर कॉल कर कभी पैसे जीतने, कभी लॉटरी लगने, तो कभी दुर्घटना होने की बात कहकर साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. साइबर क्राइम होने पर आईटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाती है. यदि फोन करने वाले की स्पष्ट पहचान नहीं होती है तो किसी भी प्रकार का लेनदेन नहीं करना चाहिए. एटीएम, आधार सहित अन्य संवेदनशील जानकारियों को साझा करने से बचना चाहिए.”

-दिलीप कुमार, लिपिक सांख्यिकी

आवश्यक सावधानियां साइबर फ्रॉड के शिकार होने से बचा सकती हैं. देश डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर अग्रसर है, जो एक बेहतर पहल है. लोगों को ऑनलाइन लेनदेन की सुविधा मिल रही है जिससे नगद रुपये छिनने का खतरा कम हो रहा है. मगर सुविधा के कारण कई बार लोग आवश्यक सावधानियों को नजरअंदाज कर देते हैं और साइबर अपराधी का शिकार बन जाते हैं. असावधानियां और जानकारी के अभाव में लोग साइबर फ्रॉड का शिकार होते हैं. अपने ऑनलाइन खातों या सोशल मीडिया पर कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी, बैंक विवरण, ओटीपी, या पिन जैसी संवेदनशील जानकारी साझा न करें. साइबर क्राइम में पहचान की चोरी होती है जिसमें व्यक्तिगत जानकारी चुराकर धोखाधड़ी की जाती है. फिशिंग में धोखेबाज ईमेल या वेबसाइटों का उपयोग करके वित्तीय डेटा चोरी किया जाता है. हैकिंग का मतलब है किसी सिस्टम तक अनाधिकृत पहुंच. रैंसमवेयर एक प्रकार का साइबर जबरन वसूली होता है जिसमें डेटा को एन्क्रिप्ट कर फिरौती मांगी जाती है. इसके अलावा साइबर स्टॉकिंग में कोई व्यक्ति बार-बार ऑनलाइन परेशान किया जाता है. ऐसे मामलों से बचने के लिए सावधानी रखना जरूरी है.”

-मो. अब्दुल जब्बार, प्रभारी प्राचार्य

साइबर क्राइम से बचने के लिए सबसे पहले साइबर फास्टिंग जरूरी है. काम के लिए और सीमित रूप से ही मोबाइल और लैपटॉप का उपयोग करना साइबर फास्टिंग कहलाता है, जो यूजर्स को सुरक्षित बनाए रखता है. अनजान ईमेल या मैसेज के अटैचमेंट न खोलें और अविश्वसनीय वेबसाइटों पर न जाएं, अन्यथा यूजर्स का अकाउंट हैक हो सकता है और उन्हें ठगी का सामना करना पड़ सकता है. मोबाइल, कंप्यूटर, डिवाइस, नेटवर्क और डेटा तक अनाधिकृत पहुंच को रोकने के लिए पासवर्ड या पिन सुरक्षा का उपयोग करें, मजबूत पासवर्ड लगाएं, जरूरत पड़ने पर उन्हें रीसेट करें, और डिफॉल्ट पासवर्ड बदलें.”

-मो. जहांगीर, शिक्षक

विभिन्न ऑनलाइन शॉपिंग साइटों पर यदि कोई वस्तु कैश ऑन डिलीवरी पर बुक की गयी है, फिर फोन पर ऑनलाइन पेमेंट पर डिस्काउंट की बात कही जाए तो ऐसे कॉल साइबर फ्रॉड का हो सकते हैं. क्योंकि जब यूजर्स ने पेमेंट मोड में कैश ऑन डिलीवरी चुना हो तो ऑनलाइन पेमेंट के लिए डिस्काउंट का फोन संदिग्ध होता है. ऐसे कॉल आने पर तुरंत पैसा ट्रांसफर न करें, नहीं तो शिकार बन सकते हैं. यदि कोई व्यक्ति फोन पर बैंक अधिकारी बनकर एटीएम ब्लॉक होने की बात कहते हुए एटीएम नंबर मांगता है, तो वह फ्रॉड कॉल है. इससे बचना चाहिए. साइबर अपराध एक खतरनाक हमला है, जिसका शिकार कोई भी बन सकता है. सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय भी यूजर्स को सतर्क रहना चाहिए.”

-अनुपलाल सिंह, ग्रासिस के पूर्व अध्यक्षB

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