महागामा बसुआ चौक का काली मंदिर तांत्रिक पूजा के लिए प्रसिद्ध
दीपावली की अमावस्या की रात होती है विशेष तांत्रिक पूजा, इस वर्ष की तैयारी जोरों पर
महागामा प्रखंड के बसुआ चौक स्थित प्रसिद्ध काली मंदिर तांत्रिक विधि से होने वाली पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर तक विख्यात है. मंदिर के संस्थापक सुशील चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1977 से मां काली की तांत्रिक विधि से पूजा की परंपरा चली आ रही है. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जहां यह मंदिर स्थित है, वहां कभी घना जंगल हुआ करता था. उस समय महागामा गांव की सुख-समृद्धि और सुरक्षा के उद्देश्य से ग्रामीणों ने जंगल की सफाई कर एक फूस के मंदिर में मां काली की पूजा प्रारंभ की थी. बाद में वर्ष 1980 में ग्रामीणों के सहयोग से पक्के मंदिर का निर्माण कराया गया. तब से यह परंपरा अनवरत रूप से जारी है. पंडित सतीश कुमार झा ने बताया कि हर वर्ष दीपावली की अमावस्या की मध्य रात्रि में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर विशेष तांत्रिक पूजा की जाती है. अगले दिन श्रद्धालु मन्नत पूर्ण होने पर मां को बकरे की बलि अर्पित करते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां मां काली से मन्नत मांगने पर श्रद्धालुओं को मनवांछित फल अवश्य प्राप्त होता है. पूजा कमेटी के अनंत लाल यादव, भैरव यादव, राजेंद्र यादव, सुरेश पासवान और उपेंद्र यादव ने बताया कि इस वर्ष भी भव्य पूजा आयोजन की तैयारी की जा रही है. मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाएगा, अखंड संकीर्तन और मेले का भी आयोजन होगा. पूरे आयोजन की तैयारी में पूजा कमेटी के साथ महागामा के सभी लोग सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं.
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