Giridih News :इकलौते मैदान में कर दिया पौधरोपण, जगह-जगह गड्ढा
Giridih News: नवडीहा क्षेत्र में एक भी खेल का मैदान नहीं है. इस कारण खेल प्रेमियों को मायूस होना पड़ता है. सियाटांड़, नवडीहा, चिलगा, गोरो, चोरगता समेत अन्य पंचायतों में बहुत बड़ी तादाद में खेल प्रेमी हैं. मैदान नहीं होने के बावजूद वे जहां-तहां खेलते नजर आते हैं. सियाटांड़ के युवाओं ने तो गांव-गली को ही खेल का मैदान बना लिया है.
कैसे खेलेगा इंडिया. नवडीहा क्षेत्र में नहीं है मैदान की सुविधा, बच्चे खेल से हो रहे वंचितवर्तमान समय में खेलने के लिए समय निकाल पाना मुश्किल हो गया है. व्यस्तताओं के बीच थोड़ा बहुत समय निकाल भी लिया जाये, तो खेल के लिए उन्हें जगह नहीं मिल पाती है. मैदान नहीं होने से बच्चे मोबाइल में ही गेम खेलते रहते हैं. इससे वे तरह-तरह की बीमारियों में घिरने लगे हैं. युवाओं की मांग है कि कम से कम कुछ गांव मिलाकर एक मैदान बनाये जाये, ताकि ग्रामीण स्तर पर खेलों को बढ़ावा मिल सके. ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों के अभाव में वह अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते हैं. पहले बच्चे कबड्डी, कुश्ती, लुका-छुपी, गुल्ली-डंडा, दौड़, लंबी कूद, ऊंची कूद, वॉलीबाल, फुटबॉल, क्रिकेट खेलते नजर आते थे. खासकर क्रिकेट के प्रति लगाव काफी अधिक दिखता था. गली-मुहल्ले में बच्चे क्रिकेट का बल्ला थामे नजर आते हैं. इधर, बढ़ती आबादी के कारण गांव के खेत-खलिहान सिमटकर छोटे हो गये हैं. भूमि पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. जो स्थान बचे हैं, तो ग्रामीण वहां कचरा फेकते हैं. इससे बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं मिल रहा है. स्कूल-कॉलेजों में भी मैदान नहीं है. इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र की खेल प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं.
युवाओं ने की खेल मैदान बनाने की मांग
नवडीहा क्षेत्र में एक भी खेल का मैदान नहीं है. इस कारण खेल प्रेमियों को मायूस होना पड़ता है. सियाटांड़, नवडीहा, चिलगा, गोरो, चोरगता समेत अन्य पंचायतों में बहुत बड़ी तादाद में खेल प्रेमी हैं. मैदान नहीं होने के बावजूद वे जहां-तहां खेलते नजर आते हैं. सियाटांड़ के युवाओं ने तो गांव-गली को ही खेल का मैदान बना लिया है. खेल प्रेमियों ने प्रशासन से गांव स्तर पर न सही, कुछ गांवों या फिर ब्लॉक स्तर पर कम से कम एक खेल का मैदान बनाने की मांग की है.
क्या कहते हैं लोग : डॉ बिनोद वर्मा, दीनदयाल वर्मा, सुधीर वर्मा, राहुल कुमार, मनोज वर्मा समेत अन्य लोगों ने कहा कि हमारे क्षेत्र में खेल का मैदान नहीं रहने के कारण बच्चे अब 10 साल की उम्र में ही सिगरेट, गांजा-दारू आदि नशा का सेवन कर अपनी स्वास्थ्य को खराब कर रहे हैं. यदि गांव में मैदान होता, तो समय मिलने पर बच्चे मैदान में खेलते. इससे उनका दिमाग अच्छा रहता और वह स्वस्थ भी रहते. इस पर अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
